जुबिली न्यूज डेस्क
पूरी दुनिया में हर साल करीब 18 लाख लोग सांप के काटने के शिकार होते हैं और इसकी वजह से लगभग 94 हजार लोग मर जाते हैं। डब्ल्यूएचओ ने साल 2030 तक सांपों के काटने को 50 फीसदी कम करने के लिए एक रणनीतिक योजना शुरू की है।
बताते चलें कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, खासकर दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में, सांपों के काटने को मौत का एक एक प्रमुख कारण माना जाता है। सांपों के काटने से मरने वाले विशेषकर किसान होते हैं जो अपने खेतों में अक्सर सांपों का सामना करते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सांपों से काटने के जो आंकड़े हैं, उसमें कमी करने के लिए जाो रणनीतिक योजना शुरु की है उसके तहत इस लक्ष्य को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण आधार तथा इस समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिक शोधों को बढ़ावा देना है।
तेल अवीव यूनीवर्सिटी के शोधकर्ताओं समेत एक इंटरनेशनल स्टडी ग्रुप ने हाल ही में सांपों के काटने के अनुमान लगाने के लिए एक अनूठा सिमुलेशन मॉडल बनाया है, जो समय और स्थान दोनों में किसानों और सांपों के परस्पर प्रभाव की बेहतर समझ पर आधारित है।
इस मॉडल का उद्देश्य विभिन्न स्थानों पर सांप के काटे जाने की आशंका को निर्धारित करना है, जिनमें चावल के खेतों से लेकर चाय के बागान तक शामिल हैं। इसनें अलग-अलग समय पर होने वाली घटनाओं जिनमें वर्ष के महीनों और दिनों के घंटे तक हैं।
यह स्टडी श्रीलंका में व्यापक शोध और आंकड़ों के आधार पर किया गया है, जहां हर साल लगभग 30 हजार लोग सांप के काटने के शिकार होते हैं, जिसमें से लगभग 400 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
स्टडी में 6 प्रकार के सांपों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो विश्व के सबसे विषैले सांपों में शामिल हैं जिनमें कोबरा, रसेल वाइपर, सॉ-स्केल्ड वाइपर, हंप-नोज सांप, कॉमन क्रेट और सीलोन क्रेट शामिल हैं।
इन जहरीले सांपों से उन किसानों का सामना होता है जो तीन सबसे आम फसलें उगाते हैं जिनमें चावल, चाय और रबड़ की फसल शामिल है।
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शोधकर्ताओं ने जो मॉडल बनाया है वह इस बात का अनुमान लगाता है कि रसेल वाइपर फरवरी और अगस्त के दौरान चावल के खेतों में होते हैं जहां ये लोगों को अक्सर काटते हैं, जबकि हंप-नोज सांप अप्रैल और मई में जब रबर का वृक्षारोपण होता है ये उस जगह पर पाए जाते हैं।
इसके अलावा यह मॉडल यह भी निर्धारित करता है कि स्टडी में किए गए क्षेत्र के दक्षिणपूर्वी हिस्से में, सांप के काटने की सबसे अधिक घटनाओं के लिए रसेल वाइपर को जिम्मेदार माना जाता है।
रसेल वाइपर दुनिया के सबसे खतरनाक सांपों में से एक माना जाता है, जबकि इस क्षेत्र के अन्य हिस्सों में कम घातक हंप-नोज सांपों के काटने की घटनाएं सबसे आम हैं।
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शोधकर्ताओं में शामिल ईयाल गोल्डस्टीन का कहना है कि हमने यह पहला अनूठा मॉडल बनाया है, जिसमें दोनों पक्षों सांपों और मनुष्यों के व्यवहार पैटर्न को शामिल किया गया है। विभिन्न समय और जगहों पर खतरों की पहचान करना और उनके बारे में चेतावनी देना इस मॉडल का उद्देश्य है।
उदाहरण देते हुए गोल्डस्टीन बतते हैं कि यह मॉडल कम खतरे और अधिक खतरे वाले क्षेत्रों के बीच अंतर कर सकते हैं। यह अंतर जो प्रति 1 लाख लोगों पर सांपों के काटने की संख्या से दोगुना हो सकता है।
यह शोध प्लोस नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस शोध के बारे में डॉ. मर्रे बताते हैं कि सांप और लोग दोनों अपने काम के लिए दिन के अलग-अलग समय पर, अलग-अलग मौसमों और विभिन्न प्रकार की जगहों में जाते हैं। यह मॉडल उन सभी को कैप्चर करता है जो उन क्षेत्रों में लोगों और सांपों के बीच सामना होने की आशंका होती है।
वहीं डॉ. इवामुरा जोर देकर कहते हैं कि हमारा दृष्टिकोण गणितीय रूप से सांपों और मनुष्यों के परस्पर प्रभाव का विश्लेषण करना है। यह तंत्र को समझने के लिए एक नया दृष्टिकोण है जो सांपों के काटने का कारण बनता है।