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शिपिंग कार्पोरेशन में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने वालों की रेस में ब्रिटेन की भी कपंनी

जुुबिली न्यूज डेस्क

साल 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार का सबसे ज्यादा जोर निजीकरण पर रहा है। इन छह सालों में मोदी सरकार ने देश की कई बड़ी-बड़ी सरकारी संस्थाओं को निजी हाथों में सौंप दिया।

हालांकि इसका एक तबके ने जोरदार विरोध भी किया, बावजूद मोदी सरकार निजीकरण करने से पीछे नहीं हट रही है। इसी कड़ी में मोदी सरकार शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया में जुटी हुई है।

ब्रिटेन की कंपनी भी इस कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगाने वालों में शामिल है।

जानकारी के अनुसार शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में सरकार की पूरी हिस्सेदारी खरीदने के लिए लंदन के फोरसाइट ग्रुप समेत कई बोलीदाताओं ने शुरुआती बोलियां लगायी हैं।

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सूत्रों के अनुसार फोरसाइट ग्रुप ने बेल्जियम के एक्समार एनवी और दुबई के जीएमएस के साथ मिलकर बोली लगायी है।

हालांकि इस कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने के लिए एस्सार ग्रुप और अडानी समूह ने बोली नहीं लगायी है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शिपिंग कॉरपोरेशन और कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि. में रणनीतिक विनिवेश के लिये सैद्धांतिक मंजूरी दी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण योजना को टाल दिया गया था।

केंद्र सरकार शिपिंग कॉरपोरेशन में प्रबंधन नियंत्रण सौंपने के साथ अपनी पूरी 63.75 प्रतिशत हिस्सेदारी भी बेच रही है। बोली जमा करने की अंतिम तिथि 13 फरवरी थी, जिसे बढ़ाकर एक मार्च कर दिया गया था।

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मालूम हो कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट भाषण में कहा था कि ”वित्त वर्ष 2021-22 में भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि., एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल लि. समेत अन्य कंपनियों के सौदे पूरे किये जाएंगे।”

इस बीच, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. ने असम की नुमालीगढ़ रिफाइनरी से बाहर निकलने की घोषणा की है। बीपीसीएल ने कहा कि वह नुमालीगढ़ रिफाइनरी में अपनी समूची हिस्सेदारी ऑयल इंडिया लि. (ओआईएल) तथा इंजीनियर्स इंडिया लि. (ईआईएल) के गठजोड़ को 9,876 करोड़ रुपये में बेचेगी।

मालूम हो कि सरकार बीपीसीएल के निजीकरण की तैयारी कर रही है। नुमालीगढ़ रिफाइनरी लि. की बिक्री से देश की दूसरी सबसे बड़ी खुदरा ईंधन कंपनी के निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा।

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