जुबिली न्यूज डेस्क
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में अपने मामा मेहुल चौकसी के साथ मिलकर 14 हजार करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला करने वाले हीरा कारोबारी नीरव मोदी को ब्रिटिश अदालत में बड़ा झटका लगा है।
ब्रिटिश कोर्ट ने भारत की दलीलों को स्वीकार करते हुए नीरव मोदी के प्रत्यर्पण का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि नीरव के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और वह दोषी साबित हो सकता है।
हीरा कारोबारी नीरव मोदी से जुड़े इस फैसले की कॉपी यूके के होम ऑफिस में भेजी जाएगी। इसके बाद होम ऑफिस के पास 28 दिन का समय होगा, जिस पर वहां के सचिव हस्ताक्षर करेंगे।
49 वर्षीय नीरव मोदी के दक्षिण-पश्चिम लंदन स्थित वॉन्ड्सवर्थ जेल से वीडियो लिंक के जरिए वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में पेश हुआ। जिला न्यायाधीश सैमुअल गूजी ने फैसला सुनाते हुए नीरव मोदी की ओर से मानसिक स्वास्थ्य को लेकर उठाए गए मुद्दों को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि यदि नीरव का भारत में प्रत्यर्पण होता है तो उनके साथ अन्याय नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि मुंबई के ऑर्थर रोड जेल का बैरक 12 नीरव मोदी के लिए फिट है।
जज ने कहा कि नीरव मोदी को आर्थर रोड जेल में पर्याप्त इलाज और मेंटल हेल्थ केयर की सुविधा दी जाएगी और वहां उसके द्वारा आत्महत्या का कोई जोखिम नहीं है।
जज ने नीरव मोदी के बचाव पक्ष के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि भारत के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने केस को प्रभावित करने का प्रयास किया।
हीरा कारोबारी नीरव मोदी फिलहाल लंदन की एक जेल में बंद है। अदालत के फैसले को इसके बाद ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। हालांकि, नीरव मोदी के पास अभी हाई कोर्ट में अपील का अधिकर है।
ये भी पढ़े: आस्ट्रेलिया में जल्द ही फेसबुक पर दिखेंगी खबरें
ये भी पढ़े: टीकरी बार्डर पर दिल्ली पुलिस ने लगाया पोस्टर, कहा- चले जाओ नहीं…
नीरव मोदी को प्रत्यर्पण वॉरंट पर 19 मार्च 2019 को गिरफ्तार किया गया था और प्रत्यर्पण मामले के सिलसिले में हुई कई सुनवाइयों के दौरान वहवॉन्ड्सवर्थ जेल से वीडियो लिंक के जरिए शामिल हुआ था। जमानत को लेकर उसके कई प्रयास मजिस्ट्रेट अदालत और उच्च न्यायालय में खारिज हो चुके हैं।
क्योंकि उसके फरार होने का जोखिम है। उसे भारत में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामलों के तहत आपराधिक कार्यवाही का सामना करना होगा। इसके अलावा कुछ अन्य मामले भी उसके खिलाफ भारत में दर्ज हैं।
हालांकि, नीरव मोदी के पास अभी भी तीन विकल्प हैं, जिनसे वह फ़िलहाल के लिए बच सकता है। एक ये कि अगर नीरव मोदी लंदन की इस स्थानीय कोर्ट के फैसले को वहां के हाईकोर्ट में चुनौती दे। अगर वह हाईकोर्ट में भी हार जाता है तो इसके बाद भी उसके पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प होगा।
इन दो विकल्पों के अलावा उसके पास तीसरा विकल्प भी खुला हुआ है, वह है मानवाधिकारों का। अगर नीरव मोदी अपनी मेंटल हेल्थ और मानवाधिकारों को आधार बनाता है, या ये बहाना बनाता है कि भारत की जेलों में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं तो नीरव मोदी यूके की मानवाधिकार अदालतों में भी जा सकता है।
इसका अर्थ है कि इस पूरी प्रक्रिया में अभी एक से दो साल और लग सकते हैं। अगर नीरव मोदी इस फैसले को चुनौती नहीं देता है तो 28 दिन के अंदर ही उन्हें भारत लाया जा सकेगा और अगर नीरव मोदी लंदन की इस लोकल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर देते हैं तो इसके बाद एक बार फिर यही प्रक्रिया चलेगी।
बता दें कि ब्रिटेन का कानून नीरव मोदी को अधिकार देता है कि वो लोकल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकें। अब ये नीरव मोदी पर निर्भर करता है कि वे आगे क्या करने वाले हैं. लेकिन नीरव मोदी पर इस फैसले को देते समय लंदन की स्थानीय कोर्ट ने जो बातें कहीं उनमें से तीन बातें अधिक प्रमुख हैं जिनसे भारत का पक्ष और अधिक मजबूत होता है। एक ये कि लंदन की कोर्ट ने प्रथम दृष्टया ये माना है कि नीरव मोदी ने PNB बैंक के अधिकारीयों के साथ मिलकर घपलेबाजी का जाल बुना है। दूसरी बात ये कि नीरव मोदी मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में भी शामिल रहा है।
तीसरी बात अदालत ने ये कही कि ये संभव है कि अगर नीरव मोदी को हिंदुस्तान भेजा जाता है तो उसे वहां इस मामले में अपराधी ठहरा दिया जाएगा। रही बात नीरव मोदी के मेंटल हेल्थ की तो उनकी मेंटल हेल्थ का ख्याल हिंदुस्तान में भी रखा जा सकता है।
आपको बता दें कि नीरव मोदी ने अपने पक्ष में तर्क दिया था कि उनकी मेंटल हेल्थ सही नहीं है, ऊपर से हिंदुस्तान की जिस जेल में उन्हें रखा जाएगा वहां पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। उनकी मेंटल हेल्थ को देखते हुए उन्हें भारत के लिए प्रत्यर्पित न किया जाए।