जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में आज कुछ साल पहले दिमागी बुखार का कहर देखने को खूब मिलता था। आलम तो यह रहा कि इससे हजारों बच्चों की जिंदगी खत्म हो गई थी।
इस वजह से गोरखपुर काफी चर्चा में रहा था। इतना ही नहीं संसद में इसको लेकर बहस देखने को मिला चुकी है। आलम तो यह रहा कि मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ इसको लेकर एक बार काफी भावुक हो गए थे लेकिन अब उनके सीएम बनने के बाद वहां तसवीर अब पूरी तरह से बदल गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिमागी बुखार को खत्म करने के लिए कई कड़े कदम उठाये है। इसका नतीजा यह रहा कि उनके प्रयासों के दिमागी बुखार के रोकथाम और इलाज के बेहतर प्रबंधन से आज बहुत आशाजनक नतीजे देखने को मिल रहे हैं।
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पीएम मोदी ने योगी की इसको लेकर खूब तारीफ की है। दरअसल पीएम मोदी ने मंगलवार को स्वास्थ्य क्षेत्र में केंद्रीय बजट के प्रावधानों को प्रभावी तौर पर लागू करने को लेकर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए इसक बात को कहा है।
राज्यपाल भी कर चुकी हैं तारीफ
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी राज्य विधान मंडल के अपने अभिभाषण में इस मामले पर सीएम योगी की तारीफ की थी। उन्होंने बताया था कि एक्यूट इंसेफेलाइिटस रोगियों की संख्या 2016 से 2020 के दौरान 3911 से घटकर 1624 पर आ गयी।
इससे होने वाली मौतों की संख्या 641 से घटकर मात्र 79 रह गयी। वर्ष 2016 में जापानी इंसेफेलाइिटस और एक्यूट इंसेफेलाइिटस से क्रमश: 9 एवं 95 बच्चों की मौत हुई थी। 2020 में रोगियों और मृतकों की संख्या क्रमश: 95 और 9 रही।
ऐसे मिली सफलता
सरकार ने बीमारी के लिहाज से संवेदनशील जिलों के क्षेत्रों में पीडित बच्चों के प्रभावी इलाज के लिए 16 पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू), 15 मिनी पिकू और 177 इंसेफेलाइिटस उपचार केंद्र बनाये है और इस वजह से
इंसेफेलाइिटस खत्म होने की कगार पर पहुंच गया हैै।
2017 से पहले पूर्वांचल में इंसेफेलाइटिस काफी खतरनाक था और इस वजह से हजारों मासूमों की जिंदगी खत्म हो गई। जहां एक और इससे लगातार मौते हो रही थी तो वहीं उससे करीब दोगुना शारीरिक और मानिसक रूप से विकलांग होते थे।
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विकलांगता की वजह से पूरी जिंदगी परिवार के लिए बोझ होती थी। गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के इंसेफेलाइटिस वार्ड जून से नवंबर बेहद खतरनाक होता था।
आलम तो यह रहता था कि एक बेड पर दो-दो बच्चे। इससे आलावा बच्चों को वार्ड के फर्श पर जगह मिलती थी। ये हालात तब थे जब संसद के हर सत्र में गोरखपुर के सांसद के रूप में संसद के हर सत्र में पुरजोर तरीके से इस मुद्दे को उठाते थे।
सीजन में मासूमों के बेहतर इलाज के लिए डीएम कार्यालय पर धरना आम था। जून-जुलाई की उमस भरी गर्मी में हजारों की संख्या में योगी की अगुआई में लोग मेडिकल कॉलेज से कमिश्नर कार्यालय तक जुलूस निकालते थे। मेडिकल कॉलेज के कितने दौरे किये, इसकी कोई गिनती ही नहीं।
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बतौर सांसद रहते हुए इंसेफेलाइिटस के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष करने वालेयोगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही हालात बदलने लगे। चार साल में तो मानो चमत्कार हो गया। आंकड़े इसके सबूत हैं। 2017 की तुलना में वर्ष 2020 में इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों की संख्या में 90 फीसद की कमीं आई है।