जुबिली न्यूज डेस्क
अंडमान के समुद्र में एक नाव में कुछ रोहिंग्या शरणार्थी फंस गए हैं। आशंका जताई जा रही है कि नाव में सवार लोगों में से कुछ की मौत हो चुकी है। फिलहाल संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी संस्था ने इन्हें तुरंत बचाने के लिए कहा है।
यूएनएचसीआर के मुताबिक रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर यह नाव दक्षिणी बांग्लादेश से लगभग 10 दिनों पहले निकली थी, लेकिन रास्ते में उसका इंजन खराब हो गय।
भारतीय कोस्ट गार्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार नाव का पता लगा लिया गया है। यह नाव अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास एक इलाके में है।
अधिकारी ने कहा कि नाव में कुल कितने लोग हैं इसके बारे में आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक इस नाव में कम से कम 90 लोग हैं।
वहीं यूएनएचसीआर ने अपने एक बयान में कहा, “उन लोगों की जान बचाने और त्रासदी को और बढऩे से रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने की जरूरत है।”
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संस्था ने ये भी कहा है कि इन फंसे हुए शरणार्थियों को बचाने में जो भी देश मदद करेगा संस्था उसे समर्थन देगी।
वहीं रोहिंग्या संकट की जानकारी रखने वाले समूह ‘द अराकान प्रोजेक्ट’ के निदेशक क्रिस लेवा के अनुसार नाव पर कम से कम आठ लोगों की मौत हो चुकी है।
लेवा का कहना है कि नाव के पास स्थित भारतीय नौसेना के जहाजों ने नाव में फंसे शरणार्थियों को थोड़ा खाना और पानी दिया था, लेकिन इसके आगे उनका क्या होगा यह कहा नहीं जा सकता।
रोहिंग्याओं से ही जुड़ी एक और संस्था ‘रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव’ ने बताया है कि नाव पर सवार लोगों में 65 महिलाएं व लड़कियां है और 20 पुरुष और दो साल से कम उम्र के पांच बच्चे हैं।
एक बार फिर संकट में रोहिंग्या शरणार्थी
इस बारे में भारतीय नौसेना के एक प्रवक्ता ने स्थिति के बारे में जानकारी नहीं दी है लेकिन कहा कि बाद में एक बयान जारी किया जाएगा।
वहीं यूएनएचसीआर के मुताबिक यह नाव बांग्लादेश के तटीय जिले कॉक्स बाजार से निकली थी जहां म्यांमार से अपनी जान बचा कार भागे करीब 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में बुरे हालात में रह रहे हैं।
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इस बारे में बांग्लादेश में अधिकारियों का कहना है कि उन्हें शिविरों से किसी भी नाव के निकलने की जानकारी नहीं है।
कॉक्स बाजार के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रफीकुल इस्लाम ने कहा, “अगर हमारे पास इसकी जानकारी होती तो हमने उन्हें रोक लिया होता।”
वहीं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ऐमनेस्टी ने अपने एक बयान में कहा कि समुद्र में फंसे रोहिंग्या लोगों की मदद करने से पहले ही सरकारों द्वारा मना कर देने की वजह से कई जानें जा चुकी हैं।
ऐमनेस्टी के दक्षिण एशिया कैम्पेनर साद हम्मादी ने कहा, “उन शर्मनाक घटनाओं को दोहराया नहीं जाना चाहिए। बांग्लादेश में सालों लंबी अनिश्चय की स्थिति और अब म्यांमार में हाल ही में हुए तख्तापलट की वजह से रोहिंग्या लोगों को लगता है कि उनके पास इस तरह की जोखिम भरी यात्राएं करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।”
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