जुबिली न्यूज डेस्क
संस्कृति मंत्रालय ने शुक्रवार को पूर्व आरएसएस प्रमुख एम एस गोलवलकर की जयंती पर एक ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें महान विचारक, विद्वान और असाधारण नेता बताया।
मंत्रालय का गोलवलकर को लेकर ट्वीट करना विपक्षी दलों को रास नहीं आया। ट्वीट के बाद भी ही राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया और विपक्षी दलों के नेताओं और नागरिक संगठनों ने प्रश्न किया कि आखिर सरकार उन्हें महिमामंडित क्यों कर रही है।
इतना ही नहीं संस्कृति मंत्रालय के ही पूर्व सचिव जवाहर सिरकर ने कहा कि मंत्रालय का ट्वीट देखकर उनका सिर शर्म से झुक गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि गोलवलकर और संघ गांधी के स्ततंत्रता संग्राम के विरोधी थे।
संस्कृति मंत्रालय ने केन्द्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल, प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य को टैग करते हुए ट्वीट किया,” महान विचारक, असाधारण नेता और विद्वान एमएस गोलवलकर की जयंती पर उन्हें याद करते हुए। उनके विचार प्रेरणा के स्रोत बने रहेंगे और पीढिय़ों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।’
मंत्रालय ने गोलवलकर को लेकर जो ट्वीट किया उसमें उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए गए।
हालांकि सांस्कृति मंत्रालय ने अपने ट्वीट में इस बात का जिक्र नहीं किया कि उनका कौन सा विचार प्रेरणा का स्रोत है, जबकि जर्मनी के तानाशाह हिटलर और गोलवलकर के विचारों में काफी समानता रही है।
आरएसएस खुद भी गोलवलकर के कुछ विचारों से अपना पल्ला भी झाड़ चुकी है। cpiml की पोलित ब्यूरो मेंबर कविता कृष्णन ने गोलवलकर के विचारों को लेकर शुक्रवार को कई ट्वीट किए।
कृष्णनन ने कहा कि आरएसएस 2006 में गोलवलकर के नाजी स्टैंड से किनारा कर चुका है, लेकिन उनके बंच ऑफ थाट्स ज्यादा अलग नहीं थे।
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बकौल कृष्णन हम अल्पसंख्यकों से हिंदुओं के साथ मिलने की अपील करते हैं, जबकि बंच ऑफ थाट्स उनसे कहता है कि कॉमन नेशनल स्ट्रीम को आत्मसात करके खुद को उसमें मिला दो।
कांग्रेस के वरिष्ठï नेता शशि थरूर ने भी इस ट्वीट की आलोचना की। उन्होंने अपने ट्वीट कहा है,” शायद ही कोई संस्कृति मंत्रालय को गंभीरता से लेने के पक्ष में हो और इस बात को माने कि यह व्यक्ति महान विचारक और विद्वान था। ‘व्हाई आई एम ए हिंदू’ के कुछ अंश को दोबारा पोस्ट करते हुए, जिनमें उनके कुछ विचारों की झलक है। भारत सरकार ऐसे इंसान की सराहना कर रही है जिसने भारतीय ध्वज और संविधान के प्रति असम्मान दिखाया था।”
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थरूर ने इसके लिए एक लिंक भी पोस्ट किया। वहीं इस मामले में मंत्रालय के मीडिया सलाहकार नितिन त्रिपाठी ने कहा कि भारत विविधताओं वाला देश है और मंत्रालय सभी की परंपराओं, रस्मों और मूल्यों का आदर करता है।
अभिनेत्री स्वरा भास्कर और रिचा चढ्ढा ने भी सोशल मीडिया पर इस ट्वीट की आलोचना की। यूके की एकेडमिक प्रियमवदा गोपाल ने इस ट्वीट की तरफ सारे विश्व का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की, जिसमें गोलवलकर की प्रशंसा की गई।
उन्होंने ट्वीट में लिखा, भारत सरकार उस महान विचारक को नमन कर रही है, जिसने संस्कृति को हमेशा सबसे ऊपर माना।
उधर, सोशल मीडिया पर लोगों ने इस ट्वीट को लेकर अपने रिएक्शन दिए। कुछ का कहना था कि बीजेपी और संघ किसी दिन गोडसे को भी महान बता देंगे।
उनका कहना था कि इस तरह से महिमामंडन गलत है, तो कुछ का कहना था कि शशि थरूर और कांग्रेस को इस देश में कोई गंभीरता से नहीं लेता।