Friday - 25 October 2024 - 8:24 PM

महाराजा सुहेलदेव की याद में बनेगा स्मारक, PM रखेंगे आधारशिला

  • महाराजा सुहेलदेव की याद में बनेगा स्मारक, पीएम रखेंगे आधारशिला
  • सीएम रहेंगे कार्यक्रम में मौजूद, वर्चुअल उद्घाटन करेंगे पीएम
  • 16 फरवरी को बसंत पंचमी के मौके पर होगा कार्यक्रम
जुबिली स्पेशल डेस्क 
लखनऊ। यह वाक़या करीब 1000 साल पुराना है। इतिहास को यू टर्न देने वाली यह घटना बहराइच में हुई थी। यह दास्तान है वीरता, स्वाभिमान और राष्ट्रभक्ति की।
15 जून 1033 को श्रावस्ती के राजा सुहेलदेव और आक्रांता सैयद सालार मसूद के बीच बहराइच के चित्तौरा झील के तट पर भयंकर युद्ध हुआ था। इस युद्ध में महाराजा सुहेलदेव की सेना ने सालार मसूद की सेना को गाजर-मूली की तरह काट डाला।
राजा सुहेलदेव की तलवार के एक ही वार ने मसूद का काम भी तमाम कर दिया। युद्ध की भयंकरता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इसमें मसूद की पूरी सेना का सफाया हो गया। एक पराक्रमी राजा होने के साथ सुहेलदेव संतों को बेहद सम्मान देते थे। वह गोरक्षक और हिंदुत्व के भी रक्षक थे।
 इतिहासकारों ने भले ही सुहेलदेव के पराक्रम और उनकी अन्य खूबियों की अनदेखी की हो, पर स्थानीय लोकगीतों की परंपरा में महाराज सुहेलदेव की वीरगाथा लोगों को रोमांचित करती रही।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर पहली बार सुहेलदेव की जयंती पर उनके पराक्रम और राष्ट्रसेवा भाव को असली सम्मान मिलने जा रहा है। 16 फरवरी (बसंत पंचमी) को इस बाबत आयोजित कार्यक्रम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल रूप से संबोधित करेंगे।

ये भी पढ़े: चीन के साथ विवाद को लेकर सदन में क्या बोले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

ये भी पढ़े: कौन है यह महिला जिसकी रिहाई की मनाई जा रही है खुशी?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहराइच में मौके पर मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम के दौरान बहराइच और श्रावस्ती के लिए कुछ बड़ी सौगातों की भी घोषणा हो सकती है। इससे चित्तौरा झील पर स्थित महाराजा सुहेलदेव की कर्मस्थली को अब एक अलग पहचान मिलेगी।
इसके पहले भी महाराज सुहेलदेव के सम्मान में भाजपा में डाक टिकट जारी हुआ था। ओर ट्रेन चलाई गई थी। प्रधानमंत्री की मंशा के अनुसार योगी आदित्यनाथ उसीके क्रम को आगे बढ़ा रहे हैं।
उस दिन प्रधानमंत्री चित्तौरा झील और महाराज सुहेलदेव के स्मारक के सुंदरीकरण के कार्यकमों का शिलान्यास भी करेंगे। स्मारक स्थल पर सुहेलदेव की भव्य प्रतिमा भी लगेगी।
मुनि अष्टावक्र की तपोस्थली भी रहा चितौरा झील का तट मालूम हो कि बहराइच और उसके आसपास के क्षेत्र ऐतिहासिक और पौराणिक रूप से काफी महत्वपूर्ण रहे हैं।
पौराणिक धर्म ग्रंथों के मुताबिक बहराइच को ब्रह्मा ने बसाया था। यहां सप्त ऋषि मंडल का सम्मेलन भी कराया गया था। चित्तौरा झील के तट पर त्रेता युग के मिथिला नरेश महाराजा जनक के गुरु अष्टावक्र ने वहां तपस्या की थी।
Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com