जुबिली न्यूज डेस्क
केंद्र की सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने जून 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत कर सबको आवास उपलब्ध कराने का अभियान शुरु किया।
इस योजना का मकसद था जरूरतमंद परिवारों को रियायत दर पर मकान उपलब्ध कराना।
इस योजना के तहत अब तक सरकार द्वारा 109,88,765 मकान के निर्माण की मंजूरी दी जा चुकी है, लेकिन अब तक केवल 42,00,797 घर ही बन पाए हैं।
यदि पिछले तीन साल की बात की जाए तो साल 2017 से 2020 तक में केवल 29,85,212 मकान बन पाए हैं, जबकि 79,44,126 मकानों के निर्माण को स्वीकृति दी गई थी। इसका मतलब है कि इस अवधि में केवल 37.6 प्रतिशत घर बन पाए हैं।
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आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने यह जानकारी राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में दिया। जवाब देते हुए उन्होंने उम्मीद जतायी कि 2022 तक इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा, लेकिन विकास की इस रफ्तार को देखते हुए यह कैसे पूरा होगा यह एक बड़ा सवाल है।
देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल दिल्ली और चंडीगढ़ में ही जितने मकान स्वीकृत हुए थे उनका निर्माण पूरा हो पाया है। इन दोनों राज्यों को छोड़कर किसी भी राज्य में स्वीकृत मकानों के निर्माण कार्य को पूरा नहीं किया है।
यदि आंकड़ों पर गौर करें तो देश में 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में घरों का निर्माण कार्य की स्पीड काफी सुस्त है। इन राज्यों में अब तक स्वीकृत मकानों में से 50 फीसदी भी नहीं बन पाए हैं।
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एमपी में सिर्फ7.5 फीसदी मकान का हुआ निर्माण
आंकड़ों के अनुसार देश में सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश में 20.26 लाख मकान स्वीकृत किए गए थे, जिसमें से केवल 17.6 फीसदी ही बन पाए हैं। इसी प्रकार यूपी में 17.67 लाख मकानों को स्वीकृति मिली थी, जिसमें से 39.3 फीसदी मकान बन चुके हैं।
इसके अलावा महाराष्ट्र में स्वीकृत 12.86 लाख मकानों में से करीब 32 फीसदी ही पूरे हो चुके हैं तो मध्य प्रदेश में भी इस योजना की स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है। एमपी में 841,298 स्वीकृत मकानों में से 62,918 ही बन पाए हैं।
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देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से अंडमान निकोबार द्वीप समूह की स्थिति सबसे अधिक खराब है। यहां केवल 6.5 फीसदी मकान ही बन पाए है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश में 7.5 फीसदी, मणिपुर में 9.8 फीसदी, मिजोरम में 11.9 फीसदी, हरियाणा में 12.5 प्रतिशत, नागालैंड में 13.4 प्रतिशत, जम्मू और कश्मीर में 17.1 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 17.6 प्रतिशत और असम में 20 प्रतिशत मकान ही बने हैं।
देश में ऐसे करोड़ों लोग हैं जिनके पास अपना घर नहीं है। इन सभी का एक ही सपना है कि अपना घर हो जाए, लेकिन इस बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के दौर में यह सपना पूरा होना आसान नहीं है।
लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना ऐसे लोगों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई थी, जिससे यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि लोगों का सपना पूरा होगा, लेकिन जिस सुस्त रफ्तार से मकान बनाने का काम चल रहा है उसे देखते हुए नहीं लगता की मार्च 2022 तक यह अपने लक्ष्यों और लोगों के सपने को पूरा कर पाएगी।
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