जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने पंचायत चुनाव के लिए त्रिस्तरीय पंचायतों में वार्डों के आरक्षण लिए नियमावली जारी कर दी है। अब आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।
नियमावली के मुताबिक पंचायतों में आरक्षण चक्रानुक्रम रीति से ही होगा लेकिन जहां तक हो सके, पूर्ववर्ती निर्वाचनों अर्थात सामान्य निर्वाचन वर्ष 1995, 2000, 2010 और वर्ष 2015 में अनुसूचित जनजातियों को आवंटित जिला पंचायतें अनुसूचित जनजातियों को आवंटित नहीं की जाएगी और अनुसूचित जातियों को आवंटित जिला पंचायतें अनुसूचित जातियों को आवंटित नहीं की जाएंगी। इस तरह पिछड़े वर्गों को आवंटित जिला पंचायतें पिछड़े वर्गों को आवंटित नहीं की जाएंगी।
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बता दें कि इस नियमावली के आधार पर ही अगले एक माह में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के वार्डों का आरक्षण निर्धारण होगा। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 17 मार्च तक आरक्षण प्रक्रिया पूरी करके 30 अप्रैल तक पंचायतों के चुनाव कराने के आदेश दिए हैं।
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अप्रैल में 58194 ग्राम पंचायतों, 731813 ग्राम पंचायत सदस्यों, 75855 क्षेत्र पंचायत सदस्यों, 3051 जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव कराया जाएगा। इसके बाद 826 ब्लाक प्रमुखों व 75 जिला पंचायत अध्यक्षों का निर्वाचन होगा।
इसके लिए अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों और पिछड़े वर्गों को आवंटित जिला पंचायतों की एक तिहाई से अन्यून (इससे कम न हो) जिला पंचायतें यथास्थिति, अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों और पिछड़े वर्गों की महिलाओं को आवंटित की जाएंगी।
महिलाओं के लिए आवंटित जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों को सम्मिलित करते हुए प्रदेश में जिला पंचायत के अध्यक्षों के पदों की कुल संख्या के एक तिहाई से अन्यून जिला पंचायत के अध्यक्षों के पदों को महिलाओं को आवंटित किया जाएगा।
जिन जिला पंचायतों के प्रादेशिक क्षेत्रों में अधिक जनसंख्या (जिसमें अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों और पिछड़े वर्गों की जनसंख्या सम्मिलित नहीं है) वे महिलाओं को आवंटित की जाएंगी लेकिन इस प्रकार की जहां तक हो सके, पूर्ववर्ती निर्वाचनों अर्थात सामान्य निर्वाचन वर्ष 1995, 2000, 2010 और 2015 में महिलाओं को आवंटित जिला पंचायतें महिलाओं को आवंटित नहीं की जाएंगी।
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नियमावली के अनुसार पंचायतों के आगामी सामान्य निर्वाचन 2021 के आरक्षण में चक्रानुक्रम लागू किया जाएगा। इसके फलस्वरूप पिछले सामान्य निर्वाचनों (1995, 2000, 2010 और 2015) में आरक्षित वर्गों (अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्गों तथा स्त्रियों) के लिए जो जिला पंचायतें आरक्षित की गई थीं, उन्हें आगामी निर्वाचन में संबंधित आरक्षित वर्ग के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा।
बता दें कि इस बार यूपी के सभी 75 जिलों में एक साथ पंचायतों के वार्डों के आरक्षण की नीति लागू होगी। 1995 में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था और उसमें आरक्षण के प्रावधान लागू किए गए थे लेकिन तब से अब तक हुए पांच पंचायत चुनावों में जिले के कई ग्राम पंचायतें ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत अध्यक्ष के पद आरक्षित होने से वंचित रह गए। ऐसे में इस बार जिला पंचायत परिषद के सभी 20 वार्डों, ग्राम प्रधान के 244 , क्षेत्र पंचायत के 505 और वार्ड सदस्य के 3322 पदों के आरक्षण में चक्रानुक्रम फार्मूला अपनाया जाएगा।
जिला पंचायत राज अधिकारी कुमार अमरेन्द्र का कहना है कि इस नए फैसले से अब वह पंचायतें जो पहले एससी के लिए आरक्षित होती रहीं और ओबीसी के आरक्षण से वंचित रह गईं, वहां ओबीसी का आरक्षण होगा और इसी तरह जो पंचायतें अब तक ओबीसी के लिए आरक्षित होती रही हैं वह अब एससी के लिए आरक्षित होंगी।
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