जुबिली न्यूज डेस्क
कृषि कानूनों को लेकर देश में चल रहे घमासान के बीच शुक्रवार को राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर सरकार का पक्ष रखा है।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा, ‘सरकार ने किसानों से कहा है कि कृषि कानूनों में कहां गलती है, उस ओर ध्यान दिलाएं। सरकार ने किसानों की परेशानियों को समझा है और कई प्रस्ताव भी दिए। सरकार किसी भी संशोधन के लिए तैयार है लेकिन इसके मायने यह नहीं लगाए जाने चाहिए कि कृषि कानून कहीं से गलत हैं।’
कृषि मंत्री लगातार कृषि कानूनों को लेकर सरकार का रूख साफ करते रहे हैं। किसान सगठनों से बातचीत के बाद भी अब अपने रूख पर कायम हैं।
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राज्यसभा में तोमर ने पंजाब के किसानों की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक राज्य के लोग गलतफहमी के शिकार हैं और उन्हें बरगलाया गया है। उन्होंने कहा कि कांट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे किसानों की जमीन चली जाएगी लेकिन उन्हें भड़काया जा रहा है।
तोमर ने कहा, ‘भारत सरकार के ट्रेड एक्ट में यह प्रावधान किया गया है कि एपीएमसी एक्ट के बाहर का इलाका ट्रेड का इलाका होगा और यह किसान का घर भी हो सकता है। एपीएमसी के बाहर जो भी ट्रेड होगा, उस पर न तो राज्य सरकार का टैक्स लगेगा और न ही केंद्र सरकार का।’
कृषि मंत्री ने कहा, एपीएमसी के भीतर राज्य सरकार का एक्ट लगता है जबकि एपीएमसी के बाहर केंद्र सरकार का एक्ट है। केंद्र का एक्ट टैक्स को खत्म करता है और राज्य सरकार का एक्ट टैक्स देने के लिए बाध्य करता है।
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तोमर ने कहा, ‘वे किसानों विशेषकर पंजाब के किसानों से पूछना चाहते हैं कि केंद्र सरकार ने टैक्स को फ्री किया है और राज्य सरकार टैक्स ले रही है, ऐसे में आंदोलन टैक्स लेने वाले के खिलाफ होना चाहिए या टैक्स को फ्री करने वाले के खिलाफ ?’
कृषि मंत्री ने साथ में यह भी कहा कि कांट्रेक्ट फार्मिंग के एक्ट में विपक्ष कोई ऐसा प्रावधान बताए जो व्यापारी को किसानों की जमीन छीनने का अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि यह प्रावधान किया गया है कि किसान कांट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट से कभी भी बाहर हो सकता है लेकिन व्यापारी ऐसा नहीं कर सकता।
तोमर ने कहा कि पंजाब सरकार के कांट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट में यह प्रावधान है कि अगर किसान गलती करेगा तो उसे जेल जाना पड़ेगा।
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