जुबिली स्पेशल डेस्क
गाजियाबाद। यूपी गेट (गाजीपुर बार्डर) पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम लगातार सरकार से बात करने के लिए कह रहे हैं लेकिन सरकार बात नहीं कर रही।
उन्होंने कहा कि दरअसल सरकार इस आंदोलन को लंबा चलाना चाहती है। उन्होंने गुरूवार को मंच से कहा कि हर गांव से एक ट्रैक्टर, 15 आदमी और 10 दिन के फार्मूले पर काम करो, फिर आंदोलन चाहें 70 साल चले, कोई दिक्कत नहीं है।
टिकैत ने मंच से असंसदीय भाषा के प्रयोग करने की मनाही के साथ ही यह भी कहा कि यदि कोई ऐसी भाषा का प्रयोग करता है तो आंदोलन उसका समर्थन नहीं करता।
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उन्होंने मंच से चेताया कि आंदोलन स्थल से कोई भी आदमी गलत भाषा का इस्तेमाल न करे। वोट की नहीं यह रोटी की लड़ाई है। सियासी लोगों को मंच पर आने से मना किया गया है तो कोई भी ऐसा आदमी मंच पर नहीं आता।
सियासी लोग मंच की मर्यादा का पालन करते हुए किसान आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं। उन्होंने आंदोलन स्थल पर पहुंचने वाले विभिन्न दलों के विधायकों और सांसदों को मेहमान स्वरूप बताया और साथ ही इस बात के लिए आगाह भी किया यहां वोट की बात कोई नहीं करेगा।
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हम मंच का सियासी इस्तेमाल नहीं होने देंगे। नेताओं को न मंच देंगे और न माइक देंगे। मंच से दिए फार्मूले पर विस्तार से बताया कि गांव के लोग आंदोलन के लिए नंबर बांध लें।
उन्होंने कहा कि हर गांव के 15 आदमी 10 दिन तक आंदोलन स्थल पर रहें और उसके बाद दूसरे 15 आदमी आ जाएं। पहले वाले गांव में जाकर अपना खेत देखें।
राकेश टिकैत ने इंटरनेट बंद किए जाने पर मंच से कटाक्ष किया कि यह बच्चों को न पढ़ने देने की साजिश है। स्कूल पहले से ही बंद हैं अब सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया, बच्चे पढ़ेंगे कैसे? राकेश टिकैत ने कहा कि हम मंच और मीडिया के माध्यम से सरकार से बात करने के लिए कहते रहेंगे।
अब यह सरकार को देखना है कि उसके पास किसानों के लिए कब समय है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार किसान आंदोलन को आगे बढाने के लिए तमाम हथकंडे अपना रही है।
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किसानों से बात न करना और दिल्ली की किलेबंदी करना सरकार की इसी रणनीति का हिस्सा है। देखते हैं सरकार कब तक किसानों की परीक्षा लेती है। उन्होंने कहा कि किसान शांतिपूर्वक दिल्ली की सीमा पर बैठा है।
राकेश टिकैत व भारतीय किसान यूनियन के फेसबुक पेज को बंद करना लोकतंत्र में बात कहने से रोकना है। आजादी में बात कहने का अधिकार है।