जुबिली न्यूज डेस्क
आने वाले समय में फेस मास्क से सड़कें बनेंगी। यह कुछ सुनने में अटपटा लग रहा है, लेकिन यह सच है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि किस तरह महामारी से उत्पन्न कचरे जैसे- उपयोग किए गए फेस मास्क का इस्तेमाल सड़क बनाने में किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने इसके फायदे भी गिनाए हैं। इससे दो फायदे होंगे, एक ओर जहां यहां-वहां बिखरे फेस मास्क के कूड़े से निजात मिलेगी, वहीं दूसरी ओर इसका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जाएगा।
कोरोना वायरस महामारी ने न केवल दुनिया भर में स्वास्थ्य संकट पैदा किया है, बल्कि यह अब पर्यावरण को भी खतरे में डाल रहा है।
कोरोना महामारी के खिलाफ लडऩे और इस्तेमाल किए गए व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरण (पीपीई किट), फेस मास्क के निपटान से जुड़े पर्यावरणीय खतरों को कम करने के लिए समुचित जानकारी की आवश्यकता होती है।
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फिलहाल शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के कचरे से निपटने का उपाय ढूंढ़ निकाला है। शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में बताया है कि कोविड-19 के कचरे से कैसे निजात पाना है।
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न की आरएमआईटी यूनीवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने फेस मास्क का उपयोग कर नई सड़क बनाने वाली सामग्री विकसित की है।
यह सामग्री सिविल इंजीनियरिंग सुरक्षा मानकों को पूरा करने के लिए डिजाइन की गई है। इसमें एक बार उपयोग होने वाले फेस मास्क और भवन बनाने वाले मलबे का मिश्रण शामिल है।
इस अध्ययन से बताया गया है कि दो लेन की सड़क के सिर्फ एक किलोमीटर बनाने के लिए रिसायकल किए गए सामग्री में लगभग 30 लाख मास्क का उपयोग होगा, जिससे 93 टन कचरे को लैंडफिल में जाने से रोका जा सकेगा।
विश्लेषण से पता चलता है कि फेस मास्क सड़कों और फुटपाथ की परतों के लिए डिजाइन किए जाने वाले उत्पाद में मजबूती प्रदान करते हैं।
कोरोना महामारी के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई किट) का उपयोग नाटकीय रूप से बढ़ गया है। हर दिन दुनिया भर में अनुमानित 680 करोड़ डिस्पोजेबल फेस मास्क का उपयोग किया जा रहा है।
शोधकर्ताओं में शामिल डॉ. मोहम्मद सबेरियन ने कहा कि कोविड-19 के पर्यावरणीय प्रभाव से निपटने के लिए अलग-अलग तरह की जानकारी की आवश्यकता होती है, विशेष कर उपयोग किए गए पीपीई किट के निपटान से जुड़े खतरों को लेकर।
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सेबरियन ने कहा इस प्रारंभिक शोध ने सड़कों में एक बार उपयोग किए जाने वाले फेस मास्क को रिसायकल करने की संभावना पर ध्यान दिया और हम यह देखकर उत्तेजित हुए कि यह न केवल काम करता है, बल्कि इसके इंजीनियरिंग लाभ भी है।
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि यह आगे के शोध के लिए दरवाजे खोलेगा, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े खतरों के प्रबंधन के तरीकों के आधार पर काम करेगा। साथ ही इस बात का पता लगाया जा सकेगा कि इसी तरह क्या अन्य प्रकार के पीपीई भी रीसाइक्लिंग के लिए उपयुक्त होंगे।
वहीं आरएमआईटी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग रिसर्च टीम का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर जी ली ने कहा कि टीम कई लोगों को अपनी स्थानीय सड़कों पर कूड़ा खासकर फेस मास्क फेंकते देखकर इसका उपयोग निर्माण सामग्री में करने की बात ठानी।
उन्होंने कहा हम जानते हैं कि भले ही ये फेस मास्क सही तरीके से निपटाए गए हों, फिर भी वे लैंडफिल में जाएंगे या उन्हें जलाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने न केवल एक वैश्विक स्वास्थ्य और आर्थिक संकट पैदा किया है, बल्कि पर्यावरण पर भी नाटकीय प्रभाव पड़ा है। अगर हम इस बड़े पैमाने पर बर्बादी की समस्या के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था ला सकते हैं, तो हम अपनी आवश्यकता के अनुसार स्मार्ट और टिकाऊ समाधान विकसित कर सकते हैं।
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