जुबिली न्यूज़ डेस्क
इस बार संसद का बजट सत्र शुक्रवार यानी 29 जनवरी से शुरू हो रहा है। शुक्रवार से शुरू हो रहे संसद सत्र में हंगामा होना तय माना जा रहा है। दरअसल कृषि कानून के विरोध को लेकर किसान संगठन बीते कई दिनों से सड़क पर हैं। इन किसानों के विरोध में कई विपक्षी दलों भी साथ है।
ऐसे में विपक्षी दलों ने कृषि कानून को लेकर सरकार को घेरने की योजना तैयार कर ली हैं। इसके साथ ही देश की खराब होती अर्थव्यवस्था, बढती बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लेकर भी विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर ली है।
बजट सत्र की शुरुआत शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ होगी। इसके बाद आज शुरू हो रहे सत्र में मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में तैयार किया गया आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। वैसे तो ये हमेशा आर्थिक सर्वे बजट के एक दिन पहले पेश किया जाता है।
लेकिन इस बार इसे दो दिन पहले वित्त वर्ष 2020-21 का आर्थिक सर्वेक्षण आज यानी शुक्रवार को संसद में पेश किया जाएगा। इसको मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन के मार्गदर्शन में तैयार किया गया है। इसके बाद वित्तमंत्री निर्मंला सीतारमण एक फ़रवरी को अपना तीसरा बजट पेश करेंगी।
वहीं इस संसद सत्र के शुरू होने से पहले कांग्रेस सहित देश के कई विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बहिष्कार करने का फैसला लिया है। इस बात की जानकारी राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने दी है।
विपक्षी दलों द्वारा किये जा रहे इस बहिष्कार के फैसले को केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति दलगत राजनीति से ऊपर होते हैं।उन्होंने विपक्ष को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार संबंधी फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति द्वारा दिए गए अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष मुद्दे उठा सकता है।
दूसरी तरफ विपक्षी दलों के नेताओं के बयान में कहा गया है कि कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, सपा, राजद, सहित कई दलों ने संयुक्त रूप से यह फैसला किया है। इसके अलावा बाद में अकाली दल, आप और बीएसपी ने भी इस बहिष्कार का फैसला किया है। इसके अलावा गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा को लेकर सभी विपक्षी दलों ने जांच कराने की मांग की है।
विपक्षी दलों द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने की घोषणा ने उनके इरादे स्पष्ट कर दिये हैं। कि इस बार का बजट सत्र हंगामे से भरपूर होगा।
बता दें कि कृषि कानून को लेकर विपक्ष के कई नेता लगातार वापस लेने की मांग करते रहे हैं। इस मामलें में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इसे वापस लेने की मांग की है। साथ ही कांग्रेस पार्टी ने पूर्वी लद्दाख के मुद्दे पर भी सरकार को घेरते हुए इससे ठीक ढंग ने नहीं निपटने के आरोप लगाए हैं।
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यही नहीं माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि कृषि कानून किसानों पर प्रहार है और राज्यों के अधिकारों एवं संघीय भावना का उल्लंघन करते हैं। इसीलिए विपक्ष राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेगा। येचुरी ने कृषि कानून को रद्द करने की मांग की है ।
कोरोना प्रोटोकॉल का पालन
शुक्रवार से शुरू हो रहा बजट सत्र में भी कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा। इस दौरान सिर्फ लोकसभा एवं राज्यसभा की कार्यवाही पांच-पांच घंटे की पालियों में संचालित होगी। राज्यसभा की कार्यवाही सुबह की पाली में और लोकसभा की कार्यवाही शाम की पाली में चलेगी।
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यहां बता दें कि कोरोना महामारी की वजह से इस बार का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया जा सका था।इसके बाद इस बार बजट सत्र में प्रश्नकाल आयोजित होगा। समय की कमी के कारण पिछले सत्र में प्रश्नकाल नहीं हो सका।