जुबिली न्यूज डेस्क
26 जनवरी को दिल्ली में किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की वजह से किसान आंदोलन कमजोर होता दिख रहा है। जिस तरह से किसानों के आंदोलन को जन समर्थन मिल रहा है उसमें काफी गिरावट आई है।
दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में पुलिस का शिकंजा किसानों पर कसता जा रहा है। ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा और तोडफ़ोड़ के लिए दिल्ली पुलिस ने 37 किसान नेताओं पर एफआईआर दर्ज की है।
इस बीच दो किसान संगठनों ने भी ख़ुद को किसान आंदोलन से अलग कर लिया है। तो क्या दो महीनों से भी अधिक समय से जारी किसान आंदोलन में फूट पड़ गई है?
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के नेता वीएम सिंह ने बुधवार को किसान आंदोलन से खुद को दूर करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा, “मैं किसी और के साथ इस तरह से आंदोलन में नेतृत्व नहीं कर सकता जिनकी दिशा अलग हो। मेरी शुभकामनाएं उनके साथ लेकिन वीएम सिंह और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन इस आंदोलन से खुद को दूर करने का ऐलान करते हैं।”
वीएम सिंह की इस घोषणा के बाद किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा था, “कुछ किसान संगठनों ने हिंसा के बाद अपना आंदोलन खत्म कर दिया है ये अच्छी बात नहीं है। 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन को झटका लगा है। इस पर हम आत्मचिंतन करेंगे और अब हमें लोगों को दोबारा से इकट्ठा करना पड़ेगा। गणतंत्र दिवस के दिन जो कुछ हुआ उसकी हमने नैतिक जिम्मेदारी ली है।”
किसान संगठनों का आंदोलन से दूरी बनाने और जनसमर्थन में आई गिरावट के बाद से किसान नेता चिंतित हैं। किसान नेताओं को भी एहसास है कि जो कुछ भी टैक्टर परेड के दौरान हुआ उसकी वजह से उनका पक्ष कमजोर हो गया है।
गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के कैंप में बिजली गुल
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर में आंदोलन पर बैठे किसानों का कहना है कि बुधवार रातभर के लिए उनके कैंप में बिजली काट दी गई और आसपास बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है।
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किसानों ने बताया कि देर शाम से यहां पुलिसबलों की संख्या भी बढऩी शुरू हो गई थी और बिजली भी काट दी गई थी। रात भर यहां अंधेरा रहा। किसानों ने ट्रैक्टर की बैटरियों से किसी तरह रोशनी की।
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वहीं किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि “शायद यहां से किसानों को हटाने की कोशिश की जा सकती है, लेकिन बिजली क्यों काटी गई है इस पर हमारे पास कोई जानकारी नहीं है।”
टिकैत ने एक बयान जारी कर कहा कि “पुलिस प्रशासन दहशत फैलाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार को डराना बंद करना चाहिए।”
बागपत जिला प्रशासन ने राष्ट्रीय राजमार्ग को खाली कराया
बुधवार देर रात बागपत जिला प्रशासन ने एक प्रदर्शनस्थल को खाली कराया। नेशनल हाईवेअथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अनुरोध के बाद ये कार्रवाई की गई। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने अपने अनुरोध में कहा था कि उन्हें अपने अधूरे काम को पूरा करना है।
Latest visuals from Baraut area in Baghpat where police removed the agitating farmers last night.
Baghpat ADM said, “NHAI wrote a letter requesting for completion of their work which was being delayed by protesting farmers.” pic.twitter.com/7eyEENqzDF
— ANI UP (@ANINewsUP) January 28, 2021
बागपत के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट अमित कुमार सिंह ने कहा,”भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने हमें एक अनुरोध पत्र लिखा था क्योंकि प्रदर्शन के कारण उनके काम में रुकावट आ रही थी। जिसके बाद हम यह जगह खाली कराने आए। प्रदर्शन कर रहे लोग, जिसमें कई बुज़ुर्ग भी शामिल थे उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से जगह खाली कर दी।”
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने 27 जनवरी को एक प्रेस नोट जारी कर केंद्र सरकार पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।
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प्रेस नोट में कहा गया है कि “अभी तक यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था लेकिन इस आंदोलन को बदनाम करने की साजिश अब जनता के सामने आ चुकी ह। कुछ व्यक्तियों और संगठनों के सहारे सरकार ने इस आंदोलन को हिंसक बनाया। प्रेस नोट में दीप सिद्धु और सतनाम सिंह पन्नु की अगुवाई वाले किसान मज़दूर कमेटी का नाम मुख्य रूप से लिया गया है।”
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने प्रेस नोट में साफ़ तौर पर यह लिखा है कि उनका लाल किले और दिल्ली के किसी भी दूसरे हिस्से में हुई हिंसा से कोई ताल्लुक़ नहीं है।