जुबिली न्यूज डेस्क
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री शाह के असम दौरे से पहले वहां एक बार फिर संशोधित नागरिकता कानून मुद्दा गरमा गया है।
मोदी और शाह के असम दौरे को देखते हुए शुक्रवार को आल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसु) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की असम की यात्रा से ठीक पहले अपनी मांगों के समर्थन में मशाल जुलूस निकाला। उनकी मांगों में मुख्य रूप से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) रद्द करना शामिल है।
मसाल जुलूस के दौरान आसु के सलाहकार समुज्ज्ल भट्टाचार्य और अध्यक्ष दीपांक कुमार नाथ को पुलिस अधिकारियों के साथ तीखी बहस करते देखा गया। पुलिस अधिकारियों का कहना था कि मशाल सौंपे जाने पर ही उन्हें आगे बढऩे की अनुमति दी जाएगी।
वहीं भट्टाचार्य ने कहा, ”हमने मशालें सौंपने से इनकार कर दिया क्योंकि यह हमारे विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम का हिस्सा था और हम इसे नहीं बदलेंगे।”
इतना ही नहीं उन्होंने प्रदर्शन को कुचलने के लिए पुलिस भेजने को लेकर मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की आलोचना की।
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मालूम हो सोनोवाल उस वक्त आसु के अध्यक्ष थे, जब भट्टाचार्य इसके महासचिव हुआ करते थे। भट्टाचार्य ने कहा, ”सोनोवाला स्वाहीद भवन से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे और अब वह लोकतांत्रिक एवं शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस भेज रहे हैं। यह शर्मनाक है और हम इसकी निंदा करते हैं।”
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मोदी, शाह और सोनोवाल के खिलाफ नारेबाजी की।
प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को शिवसागर जिले में असम सरकार द्वारा एक लाख से भी अधिक निवासियों को भूमि पट्टा वितरित किए जाने के कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री शाह के रविवार को राज्य की यात्रा करने का कार्यक्रम है।
इस बीच, AASU के सदस्य पुलिस के साथ हुई एक झड़प में घायल हो गये। दरअसल, पुलिस ने तेजपुर में उन्हें मशाल जुलूस निकालने से रोकने की कोशिश की थी।
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AASU ने घोषणा की है कि पीएम मोदी की शनिवार की यात्रा के दौरान उसके कार्यकर्ता सभी जिलों और अनुमंडलों में काले कपड़े से चेहरे को ढंक कर प्रदर्शन करेंगे। साथ ही, आसु ने 24 जनवरी को शाह की यात्रा के दौरान सीएए की प्रतियां जला कर काला दिवस मनाने की घोषणा की है।
AASU पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिनियम रद्द करने और असम संधि की धारा छह पर समिति की रिपोर्ट का क्रियान्वयन करने के भी पक्ष में है। यह धारा मूल निवासियों के संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण करती है।