जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. कोरोना महामारी से निबटने के लिए अमेरिका, जर्मनी, चीन और भारत समेत कई देशों ने वैक्सीन तैयार कर ली है. वैक्सीन कितनी राहत देगी इसे लेकर संदेह के बादल अभी छंटे नहीं हैं. भारत में बनी वैक्सीन ने भोपाल में दीपक नाम के व्यक्ति की जान ले ली थी. अब अमेरिका की फ़ाइज़र वैक्सीन पर सवाल खड़ा हो गया है. नार्वे में फ़ाइज़र वैक्सीन लगवाने से 23 लोगों की जान चली गई.
फ़ाइज़र वैक्सीन को लेकर जो दावे किये गए थे उससे कोरोना से डरे लोगों को काफी राहत मिली थी लेकिन नार्वे में वैक्सीन लगवाने वाले 23 लोगों की मौत ने इस वैक्सीन पर सवाल खड़े कर दिए हैं. वैक्सीन की वजह से मरने वालों में ज़्यादातर बुज़ुर्ग हैं. मतलब साफ़ है कि यह वैक्सीन ज्यादा उम्र के लोगों पर कारगर नहीं है.
नार्वे में 33 हज़ार लोगों का वैक्सीनेशन किया जा चुका है. इस वैक्सीनेशन में यह पाया गया है कि बीमार और बुज़ुर्ग लोगों के लिए यह वैक्सीन घातक हो सकती है. वैक्सीन लगने के बाद मरने वाले 23 लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक ही दी गई थी. 13 लोगों की मौत वैक्सीन की वजह से हुई है इसकी पुष्टि भी हो चुकी है.
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नार्वेयिन इंस्टीटयूट ऑफ़ पब्लिक हेल्थ का कहना है कि जो काफी बुज़ुर्ग हैं उन्हें वैक्सीन का फायदा मिलना मुश्किल है. 29 लोगों पर वैक्सीन का साइड इफेक्ट भी हुआ है. बताया जाता है कि नार्वे में वैक्सीन लगवाने से मरने वालों की उम्र 80 साल से ज्यादा थी.
चीन के हेल्थ एक्सपर्ट ने फ़ाइज़र को जल्दबाजी में बनाई वैक्सीन बताते हुए इसे लगवाने से मना किया है. चीन ने कहा है कि संक्रामक बीमारी की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.