जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। इस बार के प्रधानी चुनाव में काफी कुछ नया देखने को मिलने वाला है। इस बार पंचायत चुनाव में हर गांव से प्रधान पद के लिए 57 लोग पर्चा भर सकेंगे। पहले प्रधान पद की दावेदारी के लिए 47 पर्चे ही भरे जा सकते थे।
जिला निर्वाचन पंचायत को शासन से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने के लिये गाइड लाइन मिल गई है। पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान, बीडीसी सदस्य, वार्ड मेंम्बर, जिला पंचायत सदस्य के लिये अलग-अलग चुनाव प्रक्रिया आई है। जिसमें सबसे बड़ी राहतभरी खबर दावेदारों के लिये हैं वह जल्दबाजी न करें और तय तारीख पर अपना नामांकन करायें।
गांव-गांव पदों के साथ उनकी संख्या भी निर्वाचन आयोग ने भरपूर की है। इसमें एक वार्ड से सदस्य के लिए 18 पर्चा भरे जा सकेंगे। वहीं बीडीसी के लिये 36 पर्चा, ग्राम प्रधान के लिये 57 व जिला पंचायत सदस्य के लिये 53 लोग पर्चा भर सकेंगे।
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अधिकारियों ने बताया कि पिछले वर्षों में संख्या 45 से 47 रहती थी लेकिन इस बार बढ़ा दी गई है। अब लोगों का मौका खाली न जायेगा वह भी अपनी दावेदारी कर सकेंगे और चुनाव लड़ सकेंगे।
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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को निर्वाचन आयोग की गाइड लाइन जारी हो गई है, जिसमें साफ कर दिया है कि इस बार चाहे ग्राम प्रधान पद का चुनाव हो चाहे बीडीसी व ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव हो। इसमें एक व्यक्ति चार से ज्यादा पर्चा नहीं भर सकेगा। चार ज्यादा पर्चा भरे तो स्वता ही सभी पर्चा निरस्त कर दिये जायेंगे।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के कुल 58,758 ग्राम पंचायत, जिनके कार्यकाल पूरे हो गए हैं। इसके अलावा ग्राम पंचायत सदस्य के कार्यकाल खत्म हो गए हैं। इसके अलावा सूबे के 823 ब्लॉक के क्षेत्र पंचायत सदस्य सीटों और 75 जिले की जिला पंचायत के सदस्यों की 3200 सीटों पर एक साथ मार्च में चुनाव कराए जाने की संभावना है।
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सूबे में हो रहे पंचायत चुनाव राजनीतिक दलों के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। इसीलिए सत्ताधारी बीजेपी से लेकर कांग्रेस, सपा, बसपा, अपना दल, आम आदमी पार्टी और AIMIM सहित तमाम विपक्षी पार्टियां पंचायत चुनाव में उतरने की पूरी तैयारी कर रखी है।
चर्चा है कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी आगामी पंचायत चुनाव मिलकर लड़ सकती है। ओम प्रकाश राजभर पहले ही कह चुके हैं कि ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार की पंचायत चुनाव में उनके भागीदारी संकल्प मोर्चा के तहत चुनावी मैदान में उतरने की संभावना है।
हालांकि, ओवैसी ने यूपी में पंचायत चुनाव के जरिए 2015 में एंट्री की थी, लेकिन पांच साल में सूबे का सियासी मिजाज काफी बदल चुका है। सत्ता पर योगी विराजमान है तो ओवैसी को राजभर के रूप में एक साथी मिल गया है। ओम प्रकाश राजभर की अगुवाई में छोटे और क्षेत्रीय दलों का भागदारी संकल्प मोर्चा का गठन किया गया है, जिसमें ओवैसी की पार्टी भी शामिल है।
ऐसे में यूपी के पंचायत चुनाव को भागेदारी संकल्प मोर्चा का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है, इसी के आधार पर 2022 के विधानसभा चुनाव की ओवैसी और राजभर बुनियाद रखेंगे।
ओम प्रकाश राजभर ने बताया है कि संकल्प मोर्चा की 17 जनवरी को नौ घटक राज्य के सभी 75 जिला मुख्यालयों में बैठक होगी, जिसमें मोर्चा के संयुक्त रैली की रूप रेखा तय होगी। इस रैली में असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल होंगे और जनसभा को संबोधित करेंगे।
बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने पांच साल पहले यूपी की सियासत में 2015 के पंचायत चुनाव के जरिए एंट्री की थी. पिछले पंचायत चुनाव में ओवैसी की पार्टी AIMIM ने सूबे के 18 जिलों में 50 जिला पंचायत सदस्य की सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इसके सबसे ज्यादा प्रत्याशी आजमगढ़ जिले में उतरे थे, जहां दो दिन पहले मंगलवार को असदुद्दीन ओवैसी और ओमप्रकाश राजभर एक साथ गए थे. हालांकि, ओवैसी की पार्टी की शुरुआत यूपी में इसी आजमगढ़ जिले से हुई थी।
2015 के जिला पंचायत चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि 15 सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। आजमगढ़ और मुजफ्फरनगर में एक-एक सीट और बलरामपुर जिले की 2 जिला पंचायत सीटें जीतने में कामयाब रही थी।
बलरामपुर के वार्ड नंबर- 3 से नसीमा, बलरामपुर के ही वार्ड नंबर- 29 से मो. ताहिर शाह, मुजफ्फरनगर से नेत्रपाल सिंह और आजमगढ़ से कैलाश गौतम एआईएमआईएम के उम्मीदवार के तौर पर चुने गए थे. दो हिंदू और दो मुस्लिम प्रत्याशी जीतकर आए थे. इसी के बाद ओवैसी की पार्टी ने 2017 के चुनाव में किस्मत आजमाया था, लेकिन AIMIM का कोई भी उम्मीदवार जीत नहीं सका था।
यूपी में पांच साल के बाद एक बार फिर असदुद्दीन ओवैसी पंचायत चुनाव के जरिए सूबे का सियासी तपिश को नापना चाहते हैं पिछली बार अकेले चुनावी मैदान में थे, पर इस बार ओम प्रकाश राजभर के रूप में एक सहयोगी मिल गया है। राजभर इन दिनों यूपी में छोटे दलों को मिलाकर एक बड़ा गठबंधन बनाने में जुटे हैं, जिसके दम पर बीजेपी और सपा जैसे दलों से दो-दो हाथ करना चाहते हैं।