जुबिली न्यूज डेस्क
किसान आंदोलन का आज 50वां दिन है। दिल्ली से सटी सीमाओं पर किसान अभी भी डटे हुए हैं। कृषि कानून को लेकर किसान और सरकार के बीच गतिरोध जारी है। सुप्रीम कोर्ट के कमेटी वाले फैसले पर भी किसान संगठन संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों ने लोहड़ी पर कृषि कानून की प्रतियां जलाई और आंदोलन को और तेज करने की अपील की।
पंजाब के दो गांव ने ट्रैक्टर मार्च में शामिल न होने वाले लोगों पर जुर्माना लगाने का ऐलान किया है. यह गांव है- मोगा का राउक कलां और संगरूर का भल्लरहेडी। वहीं, सरकार के साथ किसानों की 15 जनवरी को नौवें दौर की बैठक प्रस्तावित है। लेकिन, कहा जा रहा है कि ये बैठक भी रद्द हो सकती है।
इस बीच भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल समूह) के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने किसानों को एक खुले पत्र में स्पष्ट किया है कि ट्रैक्टर मार्च केवल हरियाणा-नई दिल्ली सीमा पर होगा, लाल किले पर नहीं होगा जैसा कि कुछ नेताओं द्वारा दावा किया जा रहा है। राजेवाल ने उन किसानों को भी अलगाववादी तत्वों से दूर रहने को कहा है जो मार्च में ट्रैक्टर निकालने की कोशिश कर रहे थे।
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वहीं, गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि जब सरकार पांच साल चल सकती है तो आंदोलन क्यों नहीं। उन्होंने ये भी कहा कि गणतंत्र दिवस पर होने वाले कार्यक्रम के लिए तिरंगा आना भी शुरू हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्केडेंय काटजू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने किसानों के साथ गतिरोध को खत्म करने को लेकर सरकार को कई सुझाव दिए हैं।
इस बीच विपक्ष भी केंद्र सरकार पर हमलावर है। किसान आंदोलन पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद डॉ. काकोली घोष दस्तीदार ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्र बड़े कॉर्पोरेट्स के इशारे पर काम कर रही है। कृषि, राज्य का विषय है। यह संविधान और संघीय ढांचे पर एक चोट है।
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उन्होंने कहा कि बंगाल में राज्य सरकार आर्थिक रूप से उन किसानों की मदद कर रही है, जिनकी मौत हो जाती है। ममता बनर्जी के शासन के दौरान बंगाल में कृषि आय तीन गुना हो गई है। हम चाहते हैं कि नए कृषि कानून तुरंत निरस्त हों।