जुबिली स्पेशल डेस्क
हरियाण में बीजेपी की सरकार है। 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी थी लेकिन बीजेपी ने वहां पर 40 सीटे जीतकर सत्ता में दोबारा वापसी करने में कामयाब रही है लेकिन उम्मीद के मुताबिक उसका प्रदर्शन नहीं रहा।
हालांकि बीजेपी दुष्यंत चौटाला की जेजेपी 10 विधायकों के समर्थन से हरियाणा में सरकार बना ली। इसके अलावा 5 निर्दलीय विधायक भी साथ आए थे। किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं।
कांग्रेस ने किसानों के साथ लेकिन…
दूसरी ओर कांग्रेस ने 30 सीटे जीतकर बीजेपी को परेशानी में जरूर डाल दिया था।
हरियाणा के कांग्रेस नेता और किसान आंदोलन के पक्ष में खड़े हुए हैं। प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा से लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों आंदोलन के बीच पहुंचकर राज्य का सियासी पारा बढ़ाने में देर नहीं की है।
अगर देखा जाये तो कांग्रेस किसान आंदोनल के सहारे हरियाणा में खट्टर सरकार को चलता करना चाहती है। इस दौरान दीपेंद्र हुड्डा ने कहा था कि दुर्भाग्य है कि किसानों को अपनी जायज मांग के लिए इतना लंबा संघर्ष करना पड़ रहा है। इसके बावजूद किसानों के हौसले बुलंद हैं। वो देश किसान के साथ हैं, लेकिन जेपेपी सत्ता और कुर्सी के लिए किसानों के खिलाफ बीजेपी के साथ खड़ी है।
खट्टर कुर्सी बचाने में जुटे
एक तरफ किसान आंदोलित हैं तो दूसरी ओर खट्टर सरकार के खिलाफ कांग्रेस बार-बार विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव की मांग को लेकर मोर्चा खोले हुए है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर निर्दलीय विधायकों को साथ रखने के लिए लंच डिप्लोमेसी की रणनीति अपना रहे हैं।
खट्टर सरकार डरी हुई है
किसान आंदोलन से पूरी खट्टर सरकार डरी हुई है कि न जाने कब सरकार गिए जाए। सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान अलग हो चुके हैं और सहयोगी जेजेपी के अंदर भी इस मामले में जबरदस्त उथल-पुथल मची हुई है।
किसान आंदोलन शुरू होने के बाद से ही हरियाणा में बीजेपी की मुसीबतें बढ़ गई थीं। पार्टी के कई सांसदों ने कहा था कि किसानों के इस मसले का हल तुरंत निकाला जाना चाहिए।
दुष्यंत चौटाला पर बढ़ रहा है दबाव
साथ ही किसानों के समर्थन में नहीं आने के कारण जेजेपी के अंदर भी दुष्यंत चौटाला से नाराजगी की खबरें हैं। दुष्यंत चौटाला ने कल गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है और बुधवार को उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है।
चौटाला हरियाणा में भाजपा नीत सरकार में गठबंधन साझेदार जननायक जनता पार्टी (जजपा) के नेता हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जजपा के कुछ विधायक प्रदर्शनकारी किसानों के दबाव में हैं।
दरअसल जननायक जनता पार्टी (जजपा) पर दबाव इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि हरियाणा में किसान आंदोलन को लेकर लगातार सियासत देखने को मिल रही है।
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इनेलो प्रमुख अभय चौटाला ने एक पत्र लिखकर खट्टर सरकार का विरोध किया था और कहा था कि अगर 26 जनवरी तक किसानों की बात नहीं मानी जाती है तो उनकी इस पत्र को ही इस्तीफा माना जाए। उसके बाद से ही हरियाणा में सियासी चहलकदमी तेज देखी जा रही है। अभय चौटाला ने अपने पत्र में कहा था कि वो ऐसी संवेदनहीन विधानसभा में नहीं रहना चाहते है।
बीजेपी की क्या है स्थिति
उधर कांग्रेस के पास किसान आंदोलन के बीच सत्ता में लौटने का सुनहरा अवसर दिख रहा है। बता दें कि हरियाणा में 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला था लेकिन लेकिन उसने दुष्यंत चौटाला की जेजेपी 10 विधायकों के समर्थन से हरियाणा में सत्ता हासिल की थी। इतना ही नहीं 5 निर्दलीय विधायक भी साथ आए थे।
इस वजह से बीजेपी की बढ़ सकती है परेशानी
किसानों की बढ़ती नाराजगी के चलते जेजेपी के 10 विधायकों में से आधे किसान आंदोलन के साथ खड़े हैं। इनमें बरवाला से जोगीराम सिहाग, शाहबाद से रामकरण काला, गुहला चीका से ईश्वर सिंह, नारनौंद से राम कुमार गौतम और जुलाना से अमरजीत ढांडा किसानों के समर्थन में हैं।
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जेजेपी के वरिष्ठ नेता और विधायक राम कुमार गौतम ने नए कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर केंद्र से अनुरोध करने के लिए एक प्रस्ताव लाने के जरिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर दी ह। यही वजह है कि दुष्यंत चौटाला पर दबाव बढ़ गया है।
लेकिन कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं
हरियाणा में बहुमत के जादुई आंकड़ा 46 सीट। कांग्रेस के 31 विधायक हैं और उन्हें चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल हैं। इसके अलावा 1 इनेलो, 1 एचएलपी और दो निर्दलीय विधायक उनके साथ हैं।
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हालांकि, किसानों के मुद्दे पर जेजेपी के 6 विधायक जिस तरह से बागी रुख अपनाए हुए हैं। इस तरह से अब किसान आंदोलन की रफ्तार और तेजी होती है तो जेजेपी ही नहीं खट्टर सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं, क्योंकि कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा कह चुकी हैं कि किसानों के मुद्दे पर मनोहर लाल खट्टर सरकार की मनमानी और केंद्र की सख्ती के चलते हुए जेजेपी और निर्दलीय विधायक को सरकार से समर्थन वापस लेकर किसानों के साथ खड़े होने के लिए फैसला करना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र दुबे कहते हैं कि हरियाणा खट्टर सरकार खतरे में इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन खट्टर सरकार के मुश्किले पैदा कर रहा है। जननायक जनता पार्टी (जजपा) की बात की जाये तो वो खट्टïर सरकार से समर्थन वापस लेती है तो यह कोई हैरान करने वाली कोई बात नहीं होगी।
दुष्यंत चौटाला देवी लाल के पोते हैं। देवी लाल किसानों के नेता रहे हैं। दुष्यंत चौटाला की पूरी राजनीति किसानों के इर्द-गिर्द घुमती है। किसान आंदोलन के शुरुआत से ही दुष्यंत चौटाला दबाव में है। जिसको लेकर राजनाथ से लेकर पीएम मोदी से मुलाकात की है।