जुबिली न्यूज डेस्क
मध्य प्रदेश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को अक्सर देशभक्त बताने की कोशिश की जाती है। इस काम में हिंदू महासंगठन कुछ ज्यादा ही लगे रहते हैं। तीन दिन पहले ही अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने अपने ग्वालियर ऑफिस में नाथूराम गोडसे को लेकर लाइब्रेरी खोली थी, जिसका पुरजोर विरोध हो रहा है।
हिंदू महासभा की ‘गोडसे ज्ञानशाला’ को लेकर काफी विरोध प्रदशüन हो रहे थे और सोशल मीडिया पर ही हंगामा हो रहा था। विरोध देखते हुए मंगलवार को पुलिस ने इसे बंद करवा दिया और किताबें भी जब्त कर लीं। इसे देखते हुए ग्वालियर के सुपरिंटेंडेंट अमित सांघी ने धारा 144 लागू कर दी थी।
सुपरिंटेंडेंट सांघी ने कहा, ‘हिंदू महासभा के सदस्यों के साथ एक बैठक हुई थी और इसके बाद ज्ञानशाला को बंद कर दिया गया। साहित्य, पोस्टर औऱ अन्य सामग्री जब्त कर ली गई है।’
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वहीं हिंदू महासभा के उपाध्यक्ष जैवीर भारद्वाज ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि नाथूराम गोडसे के जीवन से जुड़े साहित्यों के अलावा इस ज्ञानशाला में लेक्चर भी होने थे। इन संभाषणों में गोडसे की जीवन यात्रा और बंटवारे को रोकने में गांधी जी की विफलता के बारे में बात होती।
उन्होंने कहा, ‘मेरा मकसद पूरा हो गया। मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस संदेश को पहुंचाना चाहता था जो हो गया। हम किसी तरह कानून का उल्लंघन नहीं करना चाहते थे इसीलिए लाइब्रेरी को बंद कर दिया गया।’
हिंदू महासभा ने साल 2017 में गोडसे की मूर्ति भी लगवाई थी जहां पूजा-अर्चना होनी थी। इसे कुछ दिन बाद ही हटा दिया गया था और महासभा के कुछ सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। हालांकि इस बार कोई केस नहीं दर्ज किया गया है।
वहीं विपक्षी कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह एक एफआईआर दर्ज करवाने में भी विफल रही। पार्टी प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा, ‘अगकिसी से नहीं सहमत है तो उसे देश का शत्रु कहती है लेकिन राष्ट्रपिता का अपमान करने वालों के खिलाफ एक एफआईआर भी नहीं दजü करवा सकी।’
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वहीं सुपरिंटेंडेंट सांघी ने कहा, ‘साल 2017 में जो मूर्ति लगाई गई थी, इस मामले में एमपी फ्रीडम ऑफ रिलीजन ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। इस बार भी मूर्ति लगाने की बात चल रही थी लेकिन उससे पहले ही लाइब्रेरी को बंद करवा दिया गया। अगर कुछ भी गलत किया जाता है तो पुलिस कारüवाई करेगी।’