Saturday - 26 October 2024 - 9:56 AM

आठवें दौर की तल्ख़ बातचीत के बाद किसान और सरकार बगैर खाना खाए वापस लौटे

जुबिली न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली. सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की बातचीत बेनतीजा खत्म हो गई है. इस बार की बैठक में तल्खियाँ बढ़ी हैं. किसान नेताओं ने साफ़ कर दिया है कि सरकार मुद्दे का हल नहीं चाहती है. किसान नेताओं ने यह इल्जाम भी लगाया कि सरकार साफ़ नहीं बताकर अपना और हमारा समय खराब कर रही है. आज की बैठक में भोजन नहीं हुआ. सिर्फ तल्ख बातें हुईं. किसानों ने बैनर लहराए. तीनों मंत्रियों को बैठक के बीच से उठकर आपस में बात करने कमरे से बाहर जाना पड़ा.

बातचीत की नयी तारीख 15 जनवरी है. पिछली सात मुलाकातों के दौरान तो किसान भी हल की प्रतीक्षा कर रहे थे लेकिन इस बार किसान भी पहले से जानते थे कि यह दौर बेनतीजा होने वाला है क्योंकि कृषिमंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने पहले ही यह साफ़ कर दिया था कि किसान तीनों क़ानून रद्द करने की मांग के अलावा जो कहेंगे उस पर सरकार विचार करेगी. इस बैठक से पहले कृषि मंत्री को गृहमंत्री अमित शाह ने अपने आवास पर बातचीत के लिए बुलाया था.

30 दिसम्बर को सरकार और किसानों के बीच हुई बातचीत सबसे सकारात्मक थी. उस दिन किसानों द्वारा पराली जाने और बिजली सब्सिडी मामले पर सहमति बनी थी. एमएसपी मुद्दे पर भी सरकार लिख कर देने को राजी हो गई थी.

विज्ञान भवन में 40 किसान संगठनों के साथ आठवें दौर की बातचीत के लिए कृषिमंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के अलावा सोम प्रकाश और पीयूष गोयल बैठे. दोनों पक्षों की बातचीत में कोई समाधान नहीं निकल पाया. इस बैठक के जल्दी खत्म हो जाने की सबसे बड़ी वजह यह रही कि सरकार ने किसान संगठनों से कहा कि उसे कई राज्यों के किसानों ने यह बताया है कि यह क़ानून उनके हित में हैं. ऐसे में हम तो यह देखकर फैसला करेंगे कि क़ानून ऐसे बनें जिसे पूरे देश के किसानों का हित नज़र आये.

सरकार के इस रुख के बाद किसान नेताओं ने मौन धारण कर लिया और हाथों में बैनर लेकर अपनी मांगें सरकार को दिखाने लगे. सिर्फ एक घंटे में ऐसे हालात बन गए कि तीनों मंत्रियों को आपस में बातचीत के लिए कमरे से बाहर निकलना पड़ गया. आज की बैठक एक घंटे में ही खत्म हो गई. आज भोजन का समय भी दोनों पक्षों के पास नहीं था.

अगली बैठक के लिए सरकार को 15 तारीख तय करनी पड़ी क्योंकि इससे पहले 11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. सुप्रीम कोर्ट तीन कृषि कानूनों की वैधता पर भी विचार कर सकता है.

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किसानों ने सरकार के सामने साफ़ कर दिया है कि क़ानून वापस होने से पहले वह घर नहीं लौटेंगे. किसानों ने कहा जब सरकार लॉ वापस लेगी तब हम घर वापसी करेंगे. किसान नेताओं ने किसानों के मुद्दे पर सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े किये. किसान नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार किसानों का मुद्दा हल नहीं करना चाहती है. किसानों ने यहाँ तक कहा कि सरकार समय खराब करने के बजाय सीधे जवाब दे दे.

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