जुबिली न्यूज़ डेस्क
कोरोना महामारी की वजह से लोगों का 2020 आधे से ज्यादा लॉकडाउन में गुजरा और बाकी का वायरस के डर में। हो भी क्यों न इस महामारी ने इतना कोहराम जो मचा रखा था। अभी भी लोग इस महामारी से पूरी तरह से उबर नहीं पाए हैं लेकिन पहले की अपेक्षा अब इनके मामलों में कमी आती जा रही है। जहां एक तरफ कोरोना महामारी की वजह से पिछले साल ज्यादातर कामों में रोक लगा दी तो वहीं दूसरी तरफ हॉलीवुड में महिलाओं ने एक अलग ही परचम लहराया है।
दरअसल साल 2020 में महिलाओं ने सिनेमा के क्षेत्र में एक नया रिकॉर्ड दर्ज किया है। ऐसा एक स्टडी की रिपोर्ट में सामने आया है। ये नई स्टडी अमेरिका की सैन डिएगो यूनिवर्सिटी ने फिल्मों और महिलाओं पर की है। जारी की गई इस रिपोर्ट की माने तो इस साल महिलाओं ने बतौर डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, राइटर, एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर, सिनेमेटोग्राफर और एडीटर में रिकॉर्ड तोड़ काम किया है।
ऐसा पहली बार हुआ है कि जब इस साल इतनी सारी महिलाओं का नाम फिल्मों से जुड़ा है. पिछले साल यानी 2020 में सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा कमाई करने वाली 16 फीसदी फिल्में महिलाओं द्वारा निर्मित की गई है। जोकि साल 2019 में ये मात्र 12 फीसदी थी और 2018 में सबसे कम 4 फीसदी थी।
इतने कम समय में महिलाओं द्वारा इतनी तेजी से की जा रही प्रगति इस बात को बताती है कि महिलाओं का सिनेमा से लगाव लगातार बढ़ रहा है। सैन डिएगो यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ़ वोमेन इन टेलीविजन एंड फिल्म ने अपनी स्टडी में बताया कि साल 2020 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली टॉप सौ फिल्मों में 21फीसदी फिल्मों में महिलाओं ने बतौर डायरेक्टर, सिनेमेटोग्राफर, राइटर प्रोड्यूसर, एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर और एडीटर काम किया है।
स्टडी के अनुसार,इन सौ फिल्मों में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली 28 फीसदी फिल्मों की प्रोड्यूसर महिलाएं हैं। इसमें 21 फीसदी फिल्मों में महिलाएं एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर हैं, जबकि 18 फीसदी फिल्मों की महिलाओं ने एडिटिंग में भागेदारी दी है और 12 फीसदी फिल्में ऐसी हैं जिनकी कहानी महिलाओं ने लिखी है। इन टॉप 100 फिल्मों में 3 फीसदी फिल्मों की सिनेमेटोग्राफर महिलाएं हैं।
इस स्टडी में ये बात भी निकल कर सामने आई है कि जिस भी फिल्म में एक महिला डायरेक्टर है, वहां फिल्म निर्माण की बाकी महत्वपूर्ण भूमिकाओं की जिम्मेदारी भी महिलाओं को दी गई है ।
सिनेमा की दुनिया में महिलाओं की बढती भागीदारी में ख़ुशी से ज्यादा खुश होने और समझने की ये बात है कि कैसे अगर बड़े फैसलाकुन पदों पर महिलाएं हों तो वो दूसरी महिलाओं को मौके देती हैं और सपोर्ट करती हैं।
‘फ्रीडा’ जैसी कल्ट फिल्म बनाने वाली अमेरिकन डायरेक्टर जूली तैमोर ने एक बार अमेरिकन फेमिनिस्ट राइटर और एक्टिविस्ट ग्लोरिया स्टाइनम के साथ बातचीत में बताया था कि ‘ फिल्मों में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है क्योंकि काम देने वाले ज्यादातर लोग मर्द हैं। फिल्म निर्माण एक महंगा माध्यम है।
अगर महिलाओं की संख्या बढ़ेगी तो उनका सपोर्ट सिस्टम और भी ज्यादा बेहतर होगा। एक महिला के आगे बढ़ने से और महिलाओं को भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
हालांकि सैन डिएगो की स्टडी तो केवल हॉलीवुड की फिल्मों के बारे में हैं, लेकिन अटलांटिक के उस पार से भी कुछ इसी तरह की खबरे आ रही हैं। यूके में भी पिछले साल महिला फिल्मकारों के लिए काफी सुखद रहा है, जहां इस साल बनी कुल फिल्मों में 25 फीसदी फिल्में महिलाओं ने बनाई हैं। जबकि ये संख्या 2019 में 4 फीसदी तक ही थी, जहां 21 फीसदी फिल्में महिला डायरेक्टरों ने बनाई थीं।।
इस मामले में यूके फिल्म एजेंसी बर्ड आई व्यू की डायरेक्टर मिया बेज ने बताया कि ये 25 फीसदी फिल्मों की डायरेक्टर महिलाएं हैं। इस आंकड़े पर नजर डाली जाए तो कम से कम 50 फीसदी फिल्में ऐसी हैं, जिनमें बतौर डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर, राइटर और एडीटर महिलाओं का नाम जुड़ा है।
सिनेमा के क्षेत्र में महिलाओं का काम तेजी से बढ़ रहा है और दिखाई भी दे रहा है, जबकि साहित्य के उलट सिनेमा की दुनिया में स्त्रियों ने बहुत देर से और धीमे से कदम रखा है।
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वहीं बात पूरी दुनिया की करें तो फिल्में बनाने वाली औरतें केवल नाममात्र रही हैं कि उनका नाम उंगलियों पर गिना जा सकता है। एकेडमी अवॉर्ड के 92 साल के इतिहास में आज तक सिर्फ पांच महिलाओं को एकेडमी अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया है। इसमें भी मिला सिर्फ एक महिला डायरेक्टर कैथरीन बिगेलो को फिल्म ‘हर्ट लॉक’ के लिए। लेकिन ऐसी की जा रही है कि ये तस्वीर अब कुछ बदलेगी।
ऐसी उम्मीद की जा रही है कि जिस तरह से फिल्म बनाने वाली औरतों की संख्या बढ़ी है, और जिस तरह से फिल्मों ने दुनिया की सबसे ज्यादा देखी और सराही गई हैं। वैसे ही अवॉर्ड भी उनके हिस्से में आएंगे। इस साल के एकेडमी अवॉर्ड से काफी उम्मीद की जा रही हैं।