जुबिली न्यूज डेस्क
साल 2020 की कड़वी यादों को लोग अपने जीते-जी तो कभी नहीं भूल पायेंगे। कोरोना संक्रमण का डर, अपनों को खोने का डर, रिश्तों में दूरी बनाने की मजबूरी, नौकरी खोने की दर्द, सैकड़ों मील पैदल चलने का दर्द, ये ऐसे दर्द हैं जिसकी टीस हमेशा लोगों को सालती रहेगी।
साल 2020 में कोरोना संक्रमण के वजह से जब तालाबंदी लगी तो लोग घरों में कैद हो गए। इस तालाबंदी ने जो जख्म इंसानों को दिया है उसकी भरपाई होने में काफी वक्त लगेगा। तालाबंदी ने ना केवल नौकरी छीनी बल्कि रिश्तों को भी दांव पर लगा दिया।
तालाबंदी के दौरान महिलाओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इस दौरान उन्हें पहले से ज्यादा हिंसा का सामना करना पड़ा। आंकड़ों की माने तो घरेलू हिंसा के मामलों की खूब शिकायतें दर्ज की गईं.
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को साल 2020 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की 23,722 शिकायतें मिलीं जो कि छह साल में सबसे ज्यादा है।
महिला आयोग के आंकड़ों के अनुसार कुल शिकायतों में से एक चौथाई घरेलू हिंसा से जुड़ी थीं। यह कहना गलत नहीं होगा कि महिलाएं घर में भी सुरक्षित नहीं रहीं।
एनसीडब्ल्यू के आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलता है कि पिछले साल कुल 5,294 शिकायतें घरेलू हिंसा से जुड़ीं थी। भारत में तो अधिकांश महिलाएं तो कई मजबूरियों के चलते शिकायत भी नहीं कर पाती।
एनसीडब्ल्यू के मुताबिक पिछले साल घरेलू हिंसा के मामलों में काफी बढ़ोत्तरी देखी गई। पिछले छह सालों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की सबसे ज्यादा शिकायतें 2020 में मिलीं।
कहां-कहां से आईं शिकायतें?
एनसीडब्ल्यू के आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक 11,872 शिकायतें उत्तर प्रदेश से मिलीं, इसके बाद दिल्ली से 2,635, हरियाणा 1,266 और महाराष्ट्र 1,188 से शिकायतें मिलीं। कुल 23,722 शिकायतों में से 7,708 शिकायतें गरिमा के साथ जीवन के अधिकार के तहत की गई।
एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा का कहना है कि, “आर्थिक असुरक्षा, तनाव के स्तर में वृद्धि, चिंता, वित्तीय चिंताएं और माता-पिता से कोई भावनात्मक समर्थन नहीं मिलने के कारण 2020 में घरेलू हिंसा के मामले बढ़े।”
रेखा शर्मा के मुताबिक दंपति के लिए घर ही दफ्तर बन गया है और यहां तक कि उनके बच्चों के लिए स्कूल और कॉलेज। इसी दौरान महिलाओं को उसी स्थान से कई काम एक साथ करने पड़े, इसिलए पिछले छह सालों में सबसे ज्यादा शिकायतें साल 2020 में दर्ज की गईं। इससे पहले साल 2014 में 33,906 शिकायतें दर्ज की गईं थीं।
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तालाबंदी और महिलाओं की मुसीबतें
पिछले साल जब कोरोना संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए देशव्यापी तालाबंदी की गई तो उस वक्त एनसीडब्ल्यू के पास घरेलू हिंसा की शिकायतों की भरमार लग गई। महिलाओं के पास इस दौरान बाहर जाने का विकल्प नहीं था और उन्हें घर पर ही हिंसा का सामना करना पड़ा। घरेलू हिंसा की शिकायतें जुलाई महीने में और बढ़ीं।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के अभियान से जुड़ी मॉडल और अभिनेत्री मानुषी छिल्लर कहती हैं, “महिलाएं हर कहीं अलग-अलग तरह से हिंसा की शिकार होती हैं और उन्हें यह देखकर दुख होता हैं।” उन्होंने एक वीडियो संदेश ट्विटर पर साझा किया है।
Violence against women has only grown since the onset of the Covid-19 pandemic giving a rise to the shadow pandemic. Now more than ever, there is a need to build a safer environment for women and girls around the world. Let’s build back better and equal. @unwomenindia pic.twitter.com/juiMjd1SV4
— Manushi Chhillar (@ManushiChhillar) January 2, 2021
मानुषी छिल्लर को महिलाओं के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने “ऑरेंज द वर्ल्ड” नामक वैश्विक अभियान में शामिल किया है। मानुषी कहती हैं कि महिलाओं को हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और दूसरी महिलाओं को भी ऐसा करने के लिए सशक्त बनाने की जरूरत है।
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