जुबिली न्यूज डेस्क
भारत में पिछले कुछ सालो में आरएसएस यानि राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ का प्रभाव बढ़ा है, इस दौरान बीजेपी ने भी अपना दायरा बढ़ा लिया है। बीजेपी वैचारिक रूप से संघ के करीब माना जाता है लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में आगे बढ़ रही बीजेपी का भी विस्तार हुआ है।
हाल के दिनों में कई बार बीजेपी और संघ में वैचारिक मतभेद की खबरें भी आती रही हैं, जिसे दोनों पक्ष के नेताओं ने सिरे से नकारा है। लेकिन जानकारों की माने तो पीएम मोदी के चेहरे को आगे कर जीत की राह पर चल रही बीजेपी में संघ का प्रभाव पहले से कम हुआ है।
बीजेपी में गुरुवार से बड़े सांगठनिक फेरबदल प्रभावी हो गए। इसके तहत, संयुक्त महासचिवों के बेहद प्रभावशाली पदों को खत्म कर दिया गया और वी सतीश को संयोजक की जिम्मेदारी दे दी गई। बीजेपी के संगठन में यह नया पद है जिसकी जिम्मेदारी संसदीय दल और दलितों तक पार्टी की पहुंच पर नजर रखना है।
इन बदलावों से संगठन के जिन पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं प्रभावित होंगे वो आरएसएस से हैं। इसका मतलब है कि बीजेपी के संगठन में संघ की भूमिका घट रही है। हालांकि, सतीश को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। संसदीय दल के पर्यवेक्षण की भूमिका को चमक-दमक से दूर कार्यकर्ता को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के रूप में देखा जा रहा है।
इसे संगठन के स्तर पर सबकुछ ठीक करने की कवायद भी माना जा रहा है। वी सतीश पार्ल्यामेंट्री पार्टी, अनुसूचित जाति मोर्चा और दलितों तक पहुंच बनाने के अभियान के बीच समन्वय स्थापित करने की जिम्मेदारी संभालेंगे।
जॉइंट जनरल सेक्रटरी सौदान सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर प्रोन्नति दे दी गई है। वो चंडीगढ़ में रहकर हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी का कामकाज देखेंगे। बीजेपी के लिए ये महत्वपूर्ण प्रदेश हैं।
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एक अन्य जॉइंट जनरल सेक्रटरी शिव प्रकाश इसी पद पर रहेंगे लेकिन उनका कामकाज का विस्तार कर दिया गया है। वो भोपाल में रहकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में पार्टी का कामकाज देखेंगे।
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इन बदलावों को आरएसएस के साथ तालमेल में बीजेपी नेताओं को तवज्जो दिए जाने को रूप में देखा जा सकता है। हालांकि, सूत्रों की मानें तो पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह इन बदलावों को लागू करने में आरएसएस की सहमति लेने को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं।