जुबिली न्यूज डेस्क
नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे किसानों के आंदोलन का एक महीना पूरा हो गया है। किसान ठीक एक महीने पहले सिंघु बॉर्डर पर 26 नवंबर को जुटे थे। तब नवंबर की सर्दी इतनी नहीं चुभती थी, जितनी की आज 26 दिसंबर की सर्द हवा चुभती है।
हालांकि सरकार अभी भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। पीएम मोदी समेत उनकी पूरी कैबिनेट किसानों को कृषि कानूनों के फायदे समझाने की कोशिश कर रही है। दूसरी ओर विपक्षी नेता मोदी सरकार पर हमलावर हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीटर पर वीडियो शेयर कर कहा है कि “मिट्टी का कण-कण गूंज रहा है, सरकार को सुनना पड़ेगा।”
मिट्टी का कण-कण गूंज रहा है,
सरकार को सुनना पड़ेगा। pic.twitter.com/yhwH6D8uWO— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 26, 2020
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वहीं, एनडीए के पूर्व सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों को बदनाम करना बंद करना चाहिए और अपने विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के तरीकों पर उनसे बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली की सीमाओं पर भयंकर ठंड में खुले में रह रहे किसानों की पीड़ा के प्रति ‘कठोर और असंवेदनशील रवैया’ अपनाया है। ऐसा लगता है कि सरकार आवाज उठाने वाले किसानों को दंडित करना चाहती है।
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शिअद नेता ने कहा, ‘इससे ऐसा लगता है कि सरकार तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने वाले किसानों को दंडित करना चाहती है। यही कारण है कि केंद्र ने ऐसी नीति अपनाई है जिसका मकसद किसानों को थका देना है।’
उन्होंने कहा, ‘किसानों को बदनाम करना केंद्र का एकमात्र मकसद रह गया है और ऐसी धारणा बना रही है कि वे जिद्द पर अड़े हुए हैं। जबकि सच्चाई यह है कि जिद्दी केंद्र सरकार है जो देश भर के किसानों के लिए अस्वीकार्य तीन कृषि कानूनों को रद्द करने से इनकार कर रही है।’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में पीएम-किसान सम्मान निधि योजना लागू नहीं किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आधे सच और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया! बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री किसानों के मुद्दों को सुलझाने के लिए सक्रिय रूप से काम करने की बजाय अपने टीवी संबोधन के जरिए उनके प्रति चिंता व्यक्त करते हैं!
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘ वह (प्रधानमंत्री) पीएम-किसान योजाना के जरिए प. बंगाल के किसानों की मदद की अपनी मंशा सार्वजनिक रूप से जाहिर करते हुए राज्य सरकार पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं जबकि हकीकत यह है कि वह आधे सच और तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए तथ्यों के आधार पर लोगों को गुमराह करने के प्रयास कर रहे हैं!’