Tuesday - 29 October 2024 - 5:15 PM

यूपीए के दस साल में जितना लोन बट्टे खाते में गया उसका तीन गुना मोदी राज के पांच साल में

जुबिली न्यूल डेस्क

भारतीय जनता पार्टी आज भी देश की हर समस्या के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराती है। पिछले छह साल से ज्यादा समय से सत्ता में मोदी सरकार है, बावजूद हर समस्या का जिम्मेदार मोदी और उनका महकमा यूपीए सरकार को ठहराता आ रहा है। चाहे वह गिरती अर्थव्यवस्था हो या किसानों की समस्या।

कांग्रेस पर उद्योगपतियों की मदद करने का आरोप लगाने वाली भाजपा के शासनकाल में बड़े पैमाने पर लोन राइट-ऑफ हुए हैं।

एक आरटीआई से पता चला है कि यूपीए राज में 2004 से 2014 तक जितना लोन राइट-ऑफ हुआ उसका तीन गुना से ज्यादा मोदी सरकार के 2015 से 2019 के कार्यकाल में हो गया।

मनमोहन सिंह के दस साल के कार्यकाल के दौरान विभिन्न बैंकों ने करीब 2,20,328 करोड़ रुपए के लोन राइट-ऑफ होने की सूचना दी। इसके उलट पांच साल में एनडीए में 7,94,354 करोड़ रुपए के लोन राइट-ऑफ में चले गए।

लोन राइट-ऑफ का मतलब होता है कि जब बैंकों को लगता है कि उन्हें लोन वसूलना मुश्किल हो रहा है या लोन की रिकवरी नहीं हो पा रही तो बाद में इस अमाउंट को बैलेंस शीट से हटा दिया जाता है। मतलब पैसा बट्टे खाते में डाल दिया जाता है।

पुणे के एक बिजनेसमैन प्रफुल्ल सारडा ने आरटीआई डालकर जानकारी मांगी थी। उनको आरटीआई के जबाव में मिली जानकारी अनुसार जिन बैंकों का लोन राइट-ऑफ हुआ है उसमें सिर्फ ना सिर्फ पब्लिक सेक्टर के बैंक शामिल हैं, बल्कि निजी सेक्टर और विदेशी बैंकों के लोन भी बड़े पैमाने पर राइट-ऑफ हुए।

आरटीआई से पता चला है कि इसमें करीब दो दर्जन पब्लिक सेक्टर के बैंक (PSB), निजी क्षेत्र के लगभग तीन दर्जन बैंक, 9 शेड्यूल कमर्शियल बैंक और चार दर्जन विदेशी बैंक शामिल हैं।

मालूम हो कि कांग्रेस के एक दशक (2004-14) के शासन में PSB का लगभग 1,58,994 करोड़, और निजी बैंकों का 41,391 करोड़ राइट-ऑफ हो गया। इसी तरह विदेशों बैंकों का 19,945 करोड़ राइट-ऑफ हुआ। हालांकि शेड्यूल बैंकों ने ऐसी कोई सूचना नहीं दी।

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इसी प्रकार एनडीए कार्यकाल (2015-2019) में जो पांच साल के आंकड़े सामने आए हैं उसके अनुसार PSB क्षेत्र का रिकॉर्ड 6,24,370 करोड़ रुपए, निजी बैंकों का 1,51,989 करोड़ और विदेश बैंको का 17,995 करोड़ रुपए राइट-ऑफ हुआ।

इन सभी को जोड़ लें तो 7,94,354 करोड़ रुपए की भारी भरकम रकम बैठती है। इसके अलावा शेड्यूल बैंकों के 1,295 करोड़ को जोड़ लें तो आंकड़ा 7,95,649 करोड़ बैठता है।

आरटीआई के अनुसार बीजेपी शासनकाल में राइट-ऑफ हुए लोन से पांच साल में कुछ 82,571 करोड़ की रिकवरी भी हुई है जो करीब 12 फीसदी बैठता है।

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इस मामले में प्रफुल्ल सारडा का कहना है कि आंकड़ें बहुत परेशान करने वाले हैं। यूपीए के दस साल के कार्यकाल में 2.20 लाख करोड़ का लोन राइट-ऑफ हुआ, मगर पांच से भी कम वक्त में एनडीए सरकार में ये आंकड़ा करीब 350 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 7.95 लाख करोड़ पर पहुंच गया।

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