सैय्यद मोहम्मद अब्बास
कांग्रेस इस समय सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। सत्ता से बेदखल कांग्रेस राज्यों के चुनावों में कोई खास करिशमा नहीं दिखा पा रही है। मोदी युग में कांग्रेस की चमक अब फीकी पड़ चुकी है।
जनता का कांग्रेस से मोह भंग हो चुका है। आलम तो यह है कि लोकसभा चुनाव में मोदी की लहर में कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी हाशिये पर आ गई है। मोदी ने न सिर्फ केंद्र में अपनी सत्ता हासिल की साथ में राज्यों के चुनावों में उनकी धमक देखने को मिल रही है।
इतना ही नहीं जहां कांग्रेस राज कर सकती थी वहां पर आपसी तकरार ने उसका खेल बिगाड़ दिया। इसका बड़ा उदाहरण है मध्य प्रदेश।
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कमलनाथ ने पंजे को मजबूत जरूर किया लेकिन अपने साथ के नेताओं को नाराज करना इतना भारी पड़ा कि वहां पर फिर से कमल खिल गया है और शिवराज दोबारा राज कर रहे हैं।
अगर देखा जाये तो कांग्रेस की ये हालत कैसे हुई इसपर मंथन करना जरूरी है। राहुल गांधी कांग्रेस को आगे बढ़ाने की जिम्मा उठाया था लेकिन लोकसभा चुनाव में उनकी नाव डूब गई।
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कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले अमेठी में उनकी हार इस बात की गवाह है। इसके बाद राहुल गांधी ने इस हार की जिम्मेदारी अपने कंधो पर ली और कांग्रेस अध्यक्ष पद से किनारा कर लिया।
इसके बाद कांग्रेस के कुनबे में भी रार देखने को मिल रही है। कुछ लोग चाहते हैं कि राहुल गांधी की दोबारा ताजपोशी हो लेकिन पार्टी के अंदर अभी इसको लेकर दो राय नहीं बन पा रही है।
हालांकि कुछ वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि राहुल की जगह प्रियंका गांधी को कांग्रेस की कुर्सी दी जाये लेकिन यह कहना जल्दीबाजी होगा कि प्रियंका गांधी इस बात पर राजी हो जाये।
हालांकि सोनिया गांधी ने फिलहाल कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाल रखा है लेकिन अब वो भी इस पद को छोडऩा चाहती है। इस वजह से कांग्रेस के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं है। माना जा रहा है कि नये साल में राहुल गांधी फिर से कांग्रेस के नये अध्यक्ष बन सकते हैं।
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उधर कुछ लोग अब भी राहुल गांधी को कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में देखना चाहते हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस में ऐसे नेताओं की लम्बी कतार है जो राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के लिए माहौल तैयार कर रहा है।
उनमें अशोक गहलोत का सबसे ऊपर है। राजस्थान के सीएम अब राहुल गांधी के पक्ष में माहौल तैयार कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में सभी नेताओं ने राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने को कहा। हालांकि अभी तय नहीं आगे क्या होगा।
वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र दुबे कहते हैं कि कांग्रेस अपनी परम्परा से आगे निकल नहीं पा रही है। राहुल ने एक बार कुर्सी छोड़ी थी और अब वो कुर्सी पर दोबारा काबिज होने जा रहे हैं। ये कोई नई बात नहीं है।
कांग्रेस में हमेशा गांधी परिवार का सदस्य ही कमान सम्भालता है। हालांकि बीच के दौर में गैर कांग्रेसी नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष बने हैं लेकिन उनकी पारी अल्प समय के लिए रही है।
सुरेंद्र दुबे ने बताया कि सोनिया गांधी भी राहुल गांधी को ही चाहती है। मौजूदा हालात में कांग्रेस के पास ज्यादा विकल्प नहीं है, इसलिए राहुल गांधी को ही यह जिम्मेदारी दोबारा संभालनी पड़ेगी।
सोनिया नहीं चाहती है राहुल के आलावा प्रियंका गांधी या फिर कोई और इस पद को संभाले। कांग्रेस की बैठक के बाद राहुल गांधी ने भी मान लिया है कि वो जिम्मेदारी उठा सकते हैं।
उधर कांग्रेस के युवा नेता अशोक सिंह कहते हैं कि राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस में अलग उत्साह है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का हर कार्यकर्ता राहुल गांधी को अपना नेता मानता है। ऐसे में अगर दोबार पार्टी अध्यक्ष बनते हैं तो यह खुशी की बात है।