जुबिली न्यूज़ डेस्क
भारत के पड़ोसी मुल्क नेपाल में सियासी उठापटक काफी बढ़ती जा रही है। पिछले कुछ दिनों से चल आ रही इस सियासी उठापटक के बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सदन को भंग करने की सिफारिश कर दी। नेपाल के प्रधानमंत्री ने रविवार सुबह एक आपात बैठक में सदन को भंग करने के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश भेजने का निर्णय लिया है।
खबरों के अनुसार, पीएम ओली की कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री बरशमैन पुन ने कहा कि, ‘आज की कैबिनेट की बैठक ने सदन को भंग करने के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश भेजने का फैसला किया गया है।’
Nepal: At an emergency meeting called by PM KP Sharma Oli, the council of ministers recommends to dissolve the Parliament. “It (recommendation) has been sent to the President,” says Energy Miniter Barsaman Pun.
— ANI (@ANI) December 20, 2020
बता दें कि पीएम केपी ओली पर संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित एक अध्यादेश को वापस लेने का दबाव था। यह अधिनियम उन्होंने मंगलवार को जारी किया था। उसी दिन राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने अध्यादेश को मंजूरी भी दे दी थी।
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इसके बाद जब रविवार को कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई गई, तो काफी हद तक उम्मीद की जा रही थी कि यह अध्यादेश को बदलने की सिफारिश होगी। लेकिन इसके बजाय, मंत्रिमंडल ने सदन को भंग करने की सिफारिश कर दी। जैसे ही मंत्रिमंडल की बैठक शुरू हुई, ओली ने घोषणा की कि वह राष्ट्रपति को सदन भंग करने की सिफारिश करने वाले है। उनका ऐसा करने पर किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया।
गौरतलब है कि शनिवार को ओली ने अपने साथी और पार्टी के अध्यक्ष पुष्पा कमल दहल के साथ सचिवालय के सदस्य राम बहादुर थापा के साथ मिलकर देर शाम राष्ट्रपति भंडारी के साथ कई दौर की बैठकें की। चूंकि संविधान में सदन के विघटन का प्रावधान नहीं है, इसलिए इस कदम को अदालत में चुनौती दी जा सकती है।