Tuesday - 29 October 2024 - 9:53 PM

क्या वाकई विपक्षी दल किसानों के साथ हैं?

हेमेंद्र त्रिपाठी

सर्दी के मौसम का आलम ये है कि राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को ही पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड टूट गया। अब आप ये सोच रहे होंगे कि मैं यहां पर सर्दी के मौसम की बात क्यों कर रहा है। तो भाई बता दूं कि आज दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए किसानों को करीब 24 दिन हो गये। और इस भयानक ठण्ड के मौसम में जब आम इंसान घर से निकलने के लिए भी सोचता है ऐसे में ये किसान बीते 24 दिन से ये कैसे कर पा रहे हैं।

इन 24 दिनों में किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकल सका। किसान इस कानून को रद्द करने से कम की मांग को मानने पर तैयार नहीं हैं। तो वहीं देश की शीर्ष अदालत के दखल के बाद भी ये मामला ख़त्म नहीं होता दिखा रहा है।

एक तरफ जहां विपक्षी दल इस कानून को लेकर लगातार सरकार पर हमलावर है और इस बिल को किसान विरोधी और कॉरपोरेट घरानों के फायदे वाला बता रही है। तो वहीं दूसरी तरफ सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि विपक्षी पार्टियां किसानों के कंधे पर बन्दूक रख कर चला रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई अन्य मंत्री व नेता किसान आंदोलन को विपक्षी दलों की साजिश बता रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि किसानों की हितैषी बनने का नाटक कर रहीं विपक्षी दल खुद सालों से एपीएमसी ऐक्ट को हटाने या संशोधन करने के पक्षधर कर रही हैं।

तो सवाल उठता है कि क्या सच में विपक्षी पार्टियां सिर्फ विरोध की खातिर अब अपने ही वादे से पलट रही हैं?

कांग्रेस ने किया था एपीएमसी वापस लेने/ संशोधन का वादा

राहुल गांधी ने नए कृषि कानूनों को ‘अदानी-अंबानी कृषि कानून’ का नाम दे दिया। उनका कहना है कि सरकार ने ये कानून देश के बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया है। हालांकि, साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जारी किये अपने घोषणापत्र में जनता से वादा किया था कि 2019 में अगर कांग्रेस की सरकार आएगी तो वह अग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी ऐक्ट को खत्म कर देगी।

आप ने भी किया था APMC में संशोधन का वादा

कृषि कानून का विरोध दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल भी कर रहे हैं। यहां तक वो 14 तारीख को किसानों के साथ हड़ताल पर भी बैठे। उनका आरोप है कि ये तीनों बिल किसान विरोधी हैं और कुछ बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के मकसद से बनाया गया है। बिलों का विरोध करने के लिए केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा का एक दिन का सत्र बुला लिया और अपने विधायकों के साथ कृषि कानूनों की कॉपियां को फाड़ दिया।

लेकिन कृषि कानून का विरोध कर रही केजरीवाल सरकार ये भूल गयी कि 2017 में पंजाब चुनाव के लिए जारी किए घोषणापत्र में उसने साफ़ लिखा था कि वह APMC ऐक्ट में बदलाव करेगी। ‘FARMERS & FARM LABOURERS’ पॉइंट के तहत यह लिखा गया है कि किसानों को उनके उत्पाद राज्य या राज्य से बाहर अपनी पसंद के खरीदारों और बाजारों में बेचने की आजादी देने के लिए APMC ऐक्ट में संशोधन करेगी।

यही नहीं नए कृषि कानून का विरोध पंजाब सरकार भी कर रही हैं। लेकिन साल 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की आधिकारिक वेबसाइट पर एक घोषणापत्र मौजूद है। इस घोषणा पत्र को आप देखेंगे तो पता चलेगा कि, ‘AGRICULTURE and Allied OCCUAPTIONS’ पॉइंट के अंदर साफ लिखा है कि अगर कांग्रेस राज्य की सत्ता में आई तो वह APMC ऐक्ट में संशोधन करेगी।

राहुल गांधी ने लगाए ये आरोप

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर किसान आंदोलन की अनदेखी करने का आरोप लगते हुए कहा कि वह जनता की समस्याओं का समाधान करने की बजाय सिर्फ अपने पूंजीपति मित्रों के हितों को महत्व देती है।

राहुल गांधी ने कहा कि सरकार की नीतियों के खिलाफ अपने हितों के लिए समाज का जो भी वर्ग विरोध करता है सरकार उनकी चिंता को दूर करने की बजाय उन्हें देशद्रोही, नक्सली, कोरोना वाहक या खालिस्तानी कहकर उनकी आवाज दबाने का प्रयास करती है।

राहुल ने ट्वीट किया, ‘मोदी सरकार के लिए विरोध प्रदर्शन करनेवाले छात्र राष्ट्रविरोधी हैं। अपनी समस्याओं को लेकर चिंतित नागरिक शहरी नक्सली हैं। प्रवासी मजदूर कोविड महामारी के वाहक हैं। दुष्कर्म पीड़ित कुछ भी नहीं हैं। विरोध करने वाले किसान खालिस्तानी हैं और पूंजीपति सबसे अच्छे दोस्त हैं।’

शीतकालीन सत्र स्थगित करने पर क्या बोला विपक्ष

कृषि कानून के विरोध में चल रहे किसान आन्दोलन को देखते हुए सरकार ने इस बार शीतकालीन सत्र को स्थगित कर दिया है। इसके मद्देनजर अगले साल जनवरी में बजट सत्र की बैठक आहूत करना उपयुक्त रहेगा। इस शीतकालीन सत्र के स्थगित करने को लेकर भी विपक्ष हमलावर हो गया हैं। हालांकि इसके पीछे सरकार ने ये दलील दी है कि कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार शीतकालीन सत्र स्थगित किया गया है।

क्या बोले कांग्रेस के नेता

शीतकालीन सत्र न होने को लेकर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि, ‘मोदी जी, संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने का काम पूरा हो गया।’

उन्होंने सवाल किया, ‘कोरोना काल में नीट/जेईई और यूपीएससी की परीक्षाएं संभव हैं, स्कूलों में कक्षाएं, विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं संभव हैं, बिहार-बंगाल में चुनावी रैलियां संभव हैं तो संसद का शीतकालीन सत्र क्यों नहीं? जब संसद में जनता के मुद्दे ही नहीं उठेंगे तो लोकतंत्र का अर्थ ही क्या बचेगा?’

इसके बाद ही पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि सरकार ने इस फैसले को लेकर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के साथ किसी तरह का सलाह-मशविरा नहीं किया। उन्होंने ट्वीट किया कि, ‘राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष से विचार-विमर्श नहीं किया गया। प्रह्लाद जोशी हमेशा की तरह एक बार फिर सच से दूर हैं।’

वहीं इस मसले पर कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी ट्वीट किया गया। कांग्रेस की तरफ से ट्वीट कर कहा गया कि ‘लोकतंत्र को नष्ट करने के भाजपा के प्रयासों के तहत एक और कदम।’

समाजवादी पार्टी भी हुई हमलावर

संसद का शीतकालीन सत्र न बुलाने को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि बीजेपी संसदीय-संवैधानिक परंपराओं का कत्लेआम कर रही है। अगर पश्चिम बंगाल में बीजेपी की रैली करने के लिए कोरोना नहीं है तो संसद का सत्र चलाने के लिए दिल्ली में क्यों है।

सपा नेता ने कहा हकीकत यह है कि संसद में किसानों के पक्ष में जन प्रतिनिधियों के आक्रोश से बचने के लिए बीजेपी कोरोना का बहाना बना रही है। अपने ट्विट में उन्होंने लिखा है कि बीजेपी लोकसभा का शीतकालीन सत्र टालकर किसानों और विपक्ष का सामना करने से बच रही है।

ये भी पढ़े : यूपी पंचायत चुनाव : चुनाव आयोग ने क्या दिए निर्देश

ये भी पढ़े : परिवारवाद को खत्म करने के लिए योगी सरकार ने बढ़ाया ये कदम

वह विपक्ष के विरोध के खिलाफ बड़ा षडयंत्र कर रही है। कृषि-कानून बनाने से पहले किसानों के कानों को खबर तक न होने दी, अब ‘किसान सम्मेलन’ करके इसके लाभ समझाने का ढोंग कर रही हैं।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com