जुबिली न्यूज डेस्क
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक अक्टूबर के धान खरीद की घोषणा करते हुए कहा कि राज्य में किसी भी किसान को एमएसपी से कम मूल्य पर धान नहीं बेचना है।
अपने ट्वीट में सीएम योगी आदित्यनाथ ने लिखा था, ‘किसान बहनों-भाइयों को राम-राम! प्रभु कृपा से इस वर्ष धान की पैदावार बहुत अच्छी हुई है। आपके हित को ध्यान में रखते हुए हमने इस वर्ष धान कॉमन का समर्थन मूल्य 1868 रुपये प्रति क्विंटल तथा ग्रेड-ए धान का 1888 रुपये क्विंटल निर्धारित किया है। कृपया एमएसपी से कम कीमत पर कहीं भी धान बिक्री न करें।’
किसान बहनों-भाइयों को राम-राम!
प्रभु कृपा से इस वर्ष धान की पैदावार बहुत अच्छी हुई है।
आपके हित को ध्यान में रखते हुए हमने इस वर्ष धान कॉमन का समर्थन मूल्य ₹1,868/कुन्तल तथा ग्रेड-ए धान का ₹1,888/कुन्तल निर्धारित किया है।
कृपया MSP से कम कीमत पर कहीं भी धान बिक्री न करें।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 1, 2020
मुख्यमंत्री के इस ट्वीट को दो माह से अधिक समय हो गया है और प्रदेश में धान खरीद की स्थिति ये है कि सरकारी आंकड़ों के मुकाबले प्रदेश की मंडियों में एमएसपी से कम पर बिक्री तो हो ही रही है, साथ ही सरकारी खरीद भी काफी कम है।
उत्तर प्रदेश में धान की खरीद लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है। यूपी सरकार ने खरीफ-2020 सीजन में 55 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा था, लेकिन आलम यह है कि अभी तक लक्ष्य की तुलना में महज 50 फीसदी धान की सरकारी खरीद हुई है, जबकि खरीद शुरू हुए दो महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है।
ये पहला मौका नहीं है जब प्रदेश सरकार ने लक्ष्य से कम खरीद की है। योगी सरकार के पिछले तीन सालों में दो बार ऐसा हुआ जब लक्ष्य से काफी कम खरीद हुई है।
सीएम योगी द्वारा विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार सरकार ने वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में 50 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था। हालांकि राज्य सरकार इन वर्षों के दौरान कम्रश: 42.90 लाख टन, 48.25 लाख टन और 51.05 लाख टन धान खरीद पाई।
सरकार द्वारा कृषि उपज की खरीदी इसलिए जरूरी है ताकि किसानों को बाजारों में एमएसपी से कम दाम पर प्राइवेट ट्रेडर्स को अपनी उपज न बेचना पड़े और उन्हें उचित मूल्य मिल पाए।
खरीद केंद्र एक दिन में दो किसानों से भी धान नहीं खरीद पा रहे
खाद्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में 1,087,510 किसानों ने धान की सरकारी खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन सात दिसंबर तक इसमे से 519,074 किसानों से ही खरीद हो पाई है, जबकि खरीद शुरु हुए दो माह से ज्यादा समय बीत चुका है और सरकारी खरीद जल्द ही बंद भी होने वाली है।
खरीफ-2020 सीजन में धान की खरीदी की रफ्तार इतनी धीमी है कि खरीद केंद्र एक दिन में दो किसानों से भी धान नहीं खरीद पा रहे हैं।
यह स्थिति तब है जब राज्य में 11 खरीद एजेंसियां लगाई गई हैं और प्रदेश के विभिन्न जिलों में इनके 4,330 खरीद केंद्र धान की खरीदी कर रहे हैं, लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि खरीदी को लेकर सभी एजेंसियों का प्रदर्शन खराब ही है।
उत्तर प्रदेश के खाद्य एवं रसद विभाग के आंकड़ों के अनुसार सात दिसंबर तक राज्य में 28.39 लाख टन धान की सरकारी खरीद हुई है। यह राज्य सरकार द्वारा 55 लाख टन धान खरीदने के लक्ष्य की तुलना में सिर्फ 51.61 फीसदी ही है।
वहीं यूपी के खाद्य विभाग की विपणन शाखा (एफसीएस) ने अपने 1,232 खरीद केंद्रों के जरिये सबसे ज्यादा 22.50 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसमें से 9.77 लाख टन की ही सरकारी खरीद हुई है, जो कि लक्ष्य की तुलना में 50 फीसदी से भी कम है।
इसी प्रकार यूपी सहकारी संघ (पीसीएफ) ने इस बार 13 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य बनाया था। इसके लिए पीसीएफ ने कुल 1,450 खरीद केंद्र लगाए थे, लेकिन इसमें से 6.87 लाख टन की ही खरीदी हो पाई है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव यूनियन (यूपीसीयू), भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित (एनसीसीएफ), उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ (यूपीएसएस), उत्तर प्रदेश कर्मचारी कल्याण निगम (केकेएन) भी धान खरीद के अपने लक्ष्य से पीछे हैं।
हां, यूपीसीयू का अन्य एजेंसियों की तुलना में काफी अच्छा प्रदर्शन है। यूपीसीयू ने छह लाख टन खरीदी का लक्ष्य रखा है और उसने 5.33 लाख टन की खरीदी की है।
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यूपी के सिर्फ 3.6 फीसदी किसानों को ही मिलता है एमएसपी का लाभ
द वायर की खबर के अनुसार बाजार मूल्य की जानकारी देने वाली कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की एजेंसी एगमार्कनेट के मुताबिक, यूपी की मंडियों में गेहूं का बाजार मूल्य नवंबर महीने में औसतन 1765.82 रुपये और अक्टूबर महीने में 1557.54 रुपये प्रति क्विंटल था, जो कि एमएसपी से काफी कम है।
चूंकि धान की एमएसपी 1868 रुपये प्रति क्विंटल है, इस तरह प्रदेश के किसानों को अक्टूबर में प्रति क्विंटल धान बिक्री पर औसतन 310.46 रुपये और नवंबर में 102.18 रुपये का घाटा हुआ है।
वहीं एमएसपी की सिफारिश करने वाली केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन संस्था कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की रिपोर्ट के अनुसार यूपी के सिर्फ 3.6 फीसदी किसानों को ही एमएसपी पर सरकारी खरीद का लाभ मिलता है, जबकि धान उत्पादन के मामले में पश्चिम बंगाल के बाद दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश का स्थान है।
देश के कुल धान उत्पादन में 13 फीसदी हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की है। इसके उलट पंजाब के 95 फीसदी से अधिक और हरियाणा के 69.9 फीसदी किसानों को सरकारी खरीद लाभ मिलता है।
सीएसीपी ने अपनी कई रिपोर्ट्स में ये कहा है कि किसानों को एमएसपी दिलाने और घरेलू बाजार में एमएसपी से कम मूल्य बिक्री की समस्या का समाधान करने के लिए खरीदी मशीनरी को मजबूत करने की जरूरत है।