Monday - 28 October 2024 - 9:25 PM

Farmers Protest : लो ये बैठक भी रही बेनतीजा

जुबिली स्पेशल डेस्क

नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर पिछले 10 दिनों से धरने पर बैठे किसानों का आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। आलम तो यह है कि मोदी सरकार इसे किसी तरह से खत्म कराना चाहती है लेकिन अब तक किसानों को मनाने में सरकार नाकाम रही है।

किसानों और सरकारों में कई बार बातचीत हो चुकी है लेकिन इसका नतीजा अब तक कुछ नहीं निकला है। किसानों के साथ केंद्र सरकार की शनिवार को पांचवे दौर की बातचीत में भी कोई समाधान नहीं निकला।

 

जानकारी के मुताबिक नौ दिसम्बर को दोनों के बीच फिर बातचीत हो सकती है। 9 दिसंबर दोपहर 12 बजे एक बार फिर किसान यूनियन के पदाधिकारी और सरकार के प्रतिनिधि एक साथ बैठेंगे।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार केंद्र सरकार के साथ पांचवें दौर की बैठक समाप्त होने के बाद किसान नेताओं का कहना है, कि केंद्र सरकार ने कहा है कि वे हमें 9 दिसंबर को एक प्रस्ताव भेजेंगे। हम आपस में इस पर चर्चा करेंगे जिसके बाद उसी दिन उनके साथ बैठक होगी।

बैठक में ये लोग हुए शामिल

सरकार और किसानों के बीच बातचीत दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई। इस बैठक में किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया है जबकि सरकार की तरफ से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश शामिल थे। किसान किसी तरीके से मान नहीं रहे हैं।

 

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सरकार कृषि कानून को लेकर बदलाव करने के लिए तैयार थी लेकिन किसानों को यह भी मंजूर नहीं है। ऑल इंडिया किसान सभा के बालकरण सिंह बरार ने कहा, कि सरकार ने संशोधन का जो प्रस्ताव रखा था उसको हम नहीं मानेंगे। हम ये तीनों कानून वापस कराएंगे और हमारी आठ मांगे हैं उन्हें पूरा कराएंगे फिर आंदोलन वापस लेंग। ये तीनों कानून खेती को पूजीवादियों को सौंपने की तैयारी है।

बता दें कि दिल्ली के बुराड़ी डीडीए मैदान में कंपकपाती ठंड के बीच देश के कई राज्यों के किसान डटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि वे हक मांगने आए हैं, भीख नहीं।

किसानों ने एक स्वर में कहा कि कृषि बिल किसान विरोधी है। पूरे देश का पेट भरने वाला किसान किसान आज इस ठंड में अपनी लड़ाई लडऩे के लिए सड़कों पर उतरा है। हम बिल वापस कराए बिना नहीं लौटेंगे।

किसानों का कहना था कि घर के खर्च से लेकर बच्चों की पढ़ाई, बेटी का ब्याह और सब काम के लिए अपनी फसल की बिक्री पर निर्भर हैं, लेकिन इस कानून के बाद हम अपना नियंत्रण खो देंगे।

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