Wednesday - 30 October 2024 - 12:16 AM

अखिलेश के इस प्रस्ताव को क्या मजाक समझ रहे हैं शिवपाल

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव भले ही 2022 में होना है लेकिन विपक्ष अभी से इसकी तैयारी में जुट गया है। सपा से लेकर कांग्रेस यूपी में अपनी वापसी के लिए नई रणनीति पर काम करते नजर आ रहे हैं।

हालांकि समाजवादी पार्टी अपनी खोई हुई साख को दोबारा पाने के लिए अपने संगठन में कई तरह के बदलाव कर चुकी है। अखिलेश यादव इन दिनों सोशल मीडिया के माध्यम से मौजूदा सरकार को अपने रडार पर लेते नजर आ रहे हैं।

अखिलेश यादव अपनी पार्टी के पक्ष में माहौल तैयार करने के लिए ज्यादा से ज्यादा जनता के बीच जाते नजर आ रहे हैं। अपनी पार्टी के संगठन को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर उन्होंने काम शुरू कर दिया है।

इतना ही नहीं अपनी पुरानी गलतियों से बड़ा सबक लेते हुए किसी भी बड़ी पार्टी से गठबंधन नहीं करने का फैसला नहीं किया है।

हालांकि अखिलेश यादव छोटे दलों के साथ तालमेल बैठा सकते हैं। इसको लेकर उन्होंने संकेत भी दिया है। इस दौरान अखिलेश ने साथ ही ऐलान किया कि चाचा शिवपाल यादव के लिये इटावा की जसवंतनगर की सीट सपा ने छोड़ दी है।

यही नहीं सरकार बनने पर उनको कैबिनेट मंत्री बनाया जायेगा। यही नहीं, अखिलेश ने कहा कि उनकी पार्टी को एडजस्ट करने के बारे में भी विचार किया जायेगा।

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उधर अखिलेश यादव के इस प्रस्ताव पर अब शिवपाल यादव की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि साल 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रसपा का समाजवादी पार्टी में विलय नहीं होगा, बल्कि छोटी- छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेंगे।

उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव द्वारा मुझे एक सीट या फिर कैबिनेट मंत्री पद देना एक मजाक है। शिवपाल ने लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि समाजवादी धारा के सभी लोग एक मंच पर आएं और एक ऐसा तालमेल बने, जिसमें सभी को सम्मान मिल सके।

उन्होंने कहा कि जहां तक समाजवादी पार्टी का प्रश्न है, अब तक मेरे इस आग्रह पर पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है और न ही इस विषय पर मेरी समाजवादी पार्टी के नेतृत्व से कोई बात हुई है।

प्रसपा का स्वतंत्र अस्तित्व बना रहेगा और पार्टी विलय जैसे एकाकी विचार को एक सिरे से खारिज करती है। पार्टी अपने पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को यह विश्वास दिलाती है कि उनके सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। मैं एक बार फिर गैर भाजपा दलों की एकजुटता का आह्वान करता हूं।

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता अभिषेक सिंह ‘आशु’ कि माने तो वो अपने पार्टी अध्यक्ष की बात का समर्थन करते हुए कहते हैं कि पार्टी अध्यक्ष जो तय करेंगे उसको सभी लोग मानेगे।

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