जुबिली न्यूज डेस्क
प्राइवेटाइजेशन के इस बढ़ते दौर में सरकार एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। दरअसल सरकार ने भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड में अपनी पूरी हिस्सादारी बेचने का फैसला ले लिया है। सरकार के इस फैसले से बीपीसीएल एलपीजी गैस का इस्तेमाल कर रहे 7 करोड़ से अधिक उपभोक्ता के मन में सब्सिडी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इसी वजह से केंद्र सरकार को स्पष्टीकरण जारी किया गया है।
सब्सिडी को लेकर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि बीपीसीएल के निजीकरण के बाद भी उपभोक्ताओं को रसोई गैस सब्सिडी मिलती रहेगी। एलपीजी सब्सिडी का भुगतान वेरिफाइड ग्राहकों को डिजिटल रूप से किया जाता है। तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सर्विसिंग कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र है या निजी क्षेत्र। विनिवेश के बाद भी बीपीसीएल उपभोक्ताओं को सब्सिडी पहले की तरह मिलती रहेगी।
बता दें कि सरकार तेल विपणन कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), बीपीसीएल (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) के उपभोक्ताओं को सब्सिडी देती है। सरकार प्रत्येक कनेक्शन पर हर वर्ष अधिकतम 12 रसोई गैस सिलेंडर(14.2 किलो गैस वाले) सब्सिडी वाली दर पर देती है। यह सब्सिडी सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खातों में आती है।
वहीं, सरकार बीपीसीएल में प्रबंधन नियंत्रण के साथ अपनी पूरी 53 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है। नए मालिक को भारत की तेल शोधन क्षमता का 15.33 प्रतिशत और ईंधन बाजार का 22 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा।
यह देश में 17,355 पेट्रोल पंप, 6,159 एलपीजी वितरक एजेंसियों और 256 विमानन ईंधन स्टेशनों में से 61 का मालिक है। देश के कुल 28.5 करोड़ एलपीजी उपभोक्ताओं में 7.3 करोड़ उपभोक्ता बीपीसीएल के हैं।
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क्या बीपीसीएल के उपभोक्ता कुछ वर्षों के बाद आईओसी और एचपीसीएल में स्थानांतरित हो जाएंगे जैसे सवाल पूछें जाने पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। जब हम सीधे उपभोक्ताओं को सब्सिडी का भुगतान करते हैं, तो स्वामित्व उस रास्ते में नहीं आता है।
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बीपीसीएल मुंबई (महाराष्ट्र), कोच्चि (केरल), बीना (मध्य प्रदेश), और नुमालीगढ़ (असम) में प्रतिवर्ष 38.3 मिलियन टन की संयुक्त क्षमता के साथ चार रिफाइनरियों का संचालन करती है। यह भारत की 249.8 मिलियन की कुल शोधन क्षमता का 15.3 प्रतिशत हिस्सा है।