प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. चंद्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय अपने मनमाने रवैये का लगातार रिकार्ड बनाता जा रहा है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस बात के लिए कमर कस ली है कि न तो वह उत्तर प्रदेश सरकार की बात मानेगा और न ही कुलधिपति कार्यालय यानि राज्यपाल के दिशा-निर्देशों पर कोई ध्यान देगा.
विश्वविद्यालय में जमे रैकेट की ताकत का अंदाजा बस इस बात से लगाया जा सकता है कि अपर मुख्य सचिव के समयबद्ध आदेशों का अनुपालन भी नहीं किया जा सका है । थक हार कर एक बार फिर शासन के विशेष सचिव ने नई समय सीमा तय कर नया आदेश जारी किया है ।
इस विश्वविद्यालय को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भेजी जाने वाली चिट्ठियां कौन सी फ़ाइल में डम्प की जाती हैं इसकी जानकारी खुद सरकार के पास भी नहीं है.
आश्चर्य की बात है कि उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष सचिव अनिल ढींगरा ने चंद्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति और अर्थ नियंत्रक को संबोधित 17 नवम्बर 2020 की चिट्ठी में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व में भेजी जा चुकी सात चिट्ठियों का ब्यौरा देते हुए फिर से यह आदेश दिया कि कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्मिकों का सम्बद्धीकरण / स्थानान्तरण या समायोजन को समाप्त करते हुए कार्मिकों को तत्काल उनके मूल स्थान के लिए भेजे जाने के लिए कार्यमुक्त कर तीन दिन के भीतर सरकार को अवगत कराया जाए. यह पत्र भी उसी फ़ाइल का हिस्सा बन गया है.
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से इस विश्वविद्यालय को लगातार भेजे जा रहे पत्रों में यह लिखा जा रहा है कि कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों / कार्मिकों की जिस संवर्ग में मूल नियुक्ति हुई है उसी संवर्ग से उनके वेतन आदि का भुगतान किया जाए.
इस पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि राज्य सरकार के अनुदान से मूल रूप में कृषि विज्ञान केन्द्र में नियुक्त कार्मिकों का वेतन दिया जाता है तो यह गंभीर वित्तीय अनियमितता होगी. लेकिन यह खेदजनक है कि इन निर्देशों के सम्बन्ध में क्या कार्रवाई हुई शासन को जानकारी नहीं है.
उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष सचिव ने लिखा है कि इस सम्बन्ध में राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव ने मुझे यह कहने का निर्देश दिया है कि कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्मिकों का स्थानान्तरण / सम्बद्ध / समायोजन कृषि विश्वविद्यालय से समाप्त करते हुए कार्मिकों को तत्काल उनके मूल स्थान में लौटाया जाए और सरकार को तीन दिन के भीतर इस बात की जानकारी दी जाए.
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उत्तर प्रदेश कृषि विश्वविद्यालयों की बात करें तो बांदा, मेरठ और फैजाबाद के कृषि विश्वविद्यालयों ने उत्तर प्रदेश सरकार से मिले निर्देशों का पालन किया और सरकार को अपनी कार्रवाई से अवगत भी करा दिया लेकिन चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय तमाम शासकीय पत्रों के बावजूद इन आदेशों को किसी भी सूरत में मानने के लिए तैयार नहीं है.