Sunday - 3 November 2024 - 6:37 AM

दुर्गा पूजा के लिए नहीं दे पाए चंदा तो इन लोगों को झेलना पड़ा सामाजिक बहिष्कार

जुबिली न्यूज डेस्क

मध्य प्रदेश के एक गांव में कुछ परिवार दुर्गा पूजा का चंदा नहीं दे पाए तो गांव वालों ने उनका दो सप्ताह के लिए सामाजिक बहिष्कार कर दिया।

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के एक गांव में गोंड जनजाति के 14 परिवार को दुर्गा पूजा के लिए चंदा देने के लिए कहा गया था।

कोरोना वायरस महामारी के चलते बुरी तरह आर्थिक मार झेल रहे इन परिवारों ने दुर्गा पूजा के लिए स्वेच्छा से प्रत्येक परिवार 100 रुपए देने की इच्छा जताई थी, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया।

इन लोगों पर दो सौ रुपए देने का दबाव था। जब ये नहीं दे पाए तो इन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। सामाजिक बहिष्कार के बाद इन परिवारों को सभी तरह की सुविधाओं जैसे दुकान से राशन ना देना और काम ना, से वंचित कर दिया गया। बाद

में इन लोगों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई, जिसके बाद इस सप्ताह इस मामले को हल किया गया।

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पिछले महीने 14 अक्टूबर को स्थानीय पूजा आयोजक सार्वजनिक दुर्गा पूजा संस्था ने जिले के लामता गांव में एक मीटिंग की। इस मीटिंग में तय किया गया कि दुर्गा पूजा समारोह के लिए गांव के सभी 170 परिवारों से 200-200 रुपए लिए जाएंगे।

लेकिन कोरोना महाकारी की वजह से आर्थिक मार झेल रहे 40 से अधिक परिवारों ने पैसे देने में असमर्थता जाहिर की। बाद में सामाजिक दबाव के डर से 26 परिवारों ने पैसे दे दिए, जबकि अन्य 14 प्रत्येक परिवार ने 100 रुपए देने की पेशकश की मगर इसे नहीं माना गया।

दुर्गा पूजा खत्म होने के बाद गांव में तीन नवंबर को एक मीटिंग हुई, जिसमें गांव के प्रतिनिधियों से सर्वसम्मति से फरमान जारी किया कि किसी भी ग्रामीण को इन परिवारों से मिलने और उनके यहां जाने की अनुमति नहीं होगी।

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प्रतिनिधियों ने पैसे न देने वाले 14 परिवारों पर राशन खरीदने और गांव के वैध दवा लेने पर भी रोक लगा दी गई। परेशानी देख इन लोगों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई।

इस मामले में कलेक्टर दीपक आर्या ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पीडि़त परिवारों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई, जिसके बाद ग्रामीणों के साथ एक सभा की गई। उन्हें चेतावनी दी गई कि अगर इन परिवारों के खिलाफ बहिष्कार जारी रहा तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। मामला सुलझा लिया गया है और गांव में अब सब कुछ सामान्य है।

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