जुबिली न्यूज़ डेस्क
दिवाली पर वायु प्रदूषण और बढ़ने से दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है। यहां सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेश के बाद भी दिवाली की रात लोगों ने पटाखे जलाए। इसका नतीजा हुआ कि पहले से ही खराब दिल्ली की हवा गंभीर स्थिति में जा पहुंची। कई इलाकों में तो एयर क्वालिटी इंडेक्स 999 तक पहुंच गया।
पूरी दिल्ली बीती रात पटाखों के प्रदूषण की चादर ओढ़े रही। बढ़ते हुए प्रदूषण की स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली नगर निगम की तरफ से कई इलाकों में देर रात पानी का छिड़काव किया गया। नॉर्थ दिल्ली के मेयर जयप्रकाश हॉट स्पॉट एरिया में फॉगिंग कराते नजर आए ताकि बढ़े हुए प्रदूषण को कम किया जा सके।लेकिन सुबह चार बजे तक दर्ज किए गये AQI में गंभीर स्थिति देखने को मिली।
बात करें दिल्ली के इलाकों की तो आनंद विहार में एयर क्वालिटी इंडेक्स 572, अमेरिकी दूतावास के आसपास 610, मंदिर मार्ग इलाके में 785, पंजाबी बाग में 544, द्वारका सेक्टर 18बी में 500, सोनिया विहार में 462, जगांगीरपुरी में 773, सत्यवती कॉलेज में 818, बवाना इलाके में 623 और शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेज स्टडीज के आसपास 999 दर्ज किया गया।
#WATCH I Delhi: Smog shrouds parts of the national capital leading to decreased visibility; visuals from Geeta colony pic.twitter.com/MHmmMqX0L7
— ANI (@ANI) November 15, 2020
आज हो सकती है बारिश
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार रविवार को दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में हल्की बारिश के आसार बन रहे हैं। ऐसा पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव की वजह से होगा। दिल्ली के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु समेत कुछ अन्य राज्यों में भी बारिश हो सकती है।
बता दें कि पिछले हफ्ते हुई कोरोना की समीक्षा बैठक में दिल्ली सरकार ने 30 नवंबर तक पटाखों पर पर बैन लगा दिया था। इसके अलावा सीएम अरविंद केजरीवाल ने अक्षरधाम मंदिर में दिवाली पूजन करने से पहले भी अपील की थी कि पटाखे न फोड़ें क्योंकि इससे प्रदूषण का स्तर बढ़ता है और इसकी वजह से कोरोना मरीजों के लिए दिक्कतें बढ़ जाती हैं।
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गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बीते सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर 9 नवंबर की मध्यरात्रि से 30 नवंबर की मध्य रात्रि तक रोक लगाई थी। रोक लगाते हुए एनजीटी ने कहा था कि, ‘पटाखे उत्सव और खुशी के लिए जलाए जाते हैं लेकिन मौतों और बीमारियों का जश्न मनाने के लिए नहीं।’