जुबिली न्यूज़ डेस्क
बिहार चुनाव में पड़े वोटों की मतगणना शुरू हो गई है।जैसे जैसे सीटों पर नतीजे आ रहे हैं वैसे वैसे लोगों की धड़कने बढ़ रही हैं। इस चुनाव का परिणाम कितना दिलचस्प होगा वो तो आज शाम को ही पता चलेगा। फ़िलहाल अभी तक 150 सीटों तक रुझान आ चुके हैं और इन रुझानो में महागठबंधन ने एनडीए से बढ़त बना हुई है।
इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में हर तरफ तेजस्वी यादव की चर्चा हर जगह हो रही है। ऐसे में लोग उन चेहरों को भी जानना चाह रहे हैं, जिन्होंने तेजस्वी की राजनीतिक तकदीर बदलने में अहम भूमिका निभाई है।
इन चेहरों में आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन एक और चेहरा भी है जो पर्दे पर न आकर तेजस्वी की हर रणनीति को धरातल पर उतार दिया।वो हैं उनके राजनीतिक सचिव संजय यादव, जिनकी चर्चा अब शुरू हो गई है।
बता दें कि 37 साल के संजय यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नांगल सिरोही गांव के रहने वाले हैं। बताया जा रहा है कि पिछले एक दशक से संजय यादव तेजस्वी यादव से जुड़े हुए हैं। दोनों की मुलाकात साल 2010 में दिल्ली में हुई थी। उस समय तेजस्वी यादव पहले आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स की तरफ से अपना किस्मत आजमा रहे थे। बाद में तेजस्वी की एक बहन की शादी हरियाणा में हुई।
कहा जा रहा है कि कि जब कोरोना काल में जेडीयू और बीजेपी के नेता तेजस्वी यादव को बिहार में ढूंढ रहे थे, उस समय तेजस्वी और संजय दिल्ली में रह कर बिहार चुनाव की तैयारियों को लेकर रणनीति बना रहे थे। एक तरफ बीजेपी के बड़े-बड़े चुनाव मैनेजर रणनीति बना रहे थे तो दूसरी तरफ संजय यादव बिहार चुनाव में उठाये जाने वाले मुद्दे और स्लोगन पर विचार-विमर्श कर रहे थे।
ये भी बताया जा रहा है कि तेजस्वी अपने नजदीकी नेताओं से भीड़ और रैली में ‘हम तो ठैठ बिहारी हैं’ जैसे शब्दों के साथ बिहार चुनाव में जीतने की पटकथा लिख रहे थे। पटना के बड़े-बड़े होटलों में जहां बीजेपी और जेडीयू के रणनीतिकार आईटी मैनेजर के साथ बैठकर मीडिया और सोशल मीडिया में जंगलराज और लालू राज जैसे स्लोगन को ट्रेंड करा रहे थे, उस समय इन लोगों को संजय यादव की भावी रणनीति की भनक भी नहीं थी।
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तेजस्वी यादव को छोड़ कर लालू यादव, राबड़ी देवी सहित परिवार के किसी भी सदस्यों को पोस्टर से गायब करना, पीएम मोदी को टारगेट नहीं करना, इस तरह की रणनीति संजय यादव और उनकी टीम ने ही बनाई।
अब देखना ये है कि संजय यादव की तेजस्वी के साथ मिलकर बनाई हुई रणनीति कामयाब होगी या नहीं। फ़िलहाल चुनाव का परिणाम चाहे जो भी हो लेकिन संजय यादव की चर्चा हर जगह होनी शुरू हो गई है।
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अभी तक दिखाए गये अधिकांश एक्जिट पोल में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनना तय बताया गया है।ऐसे में आने वाले कुछ दिनों में संजय यादव की उसी तरह चर्चा होगी जिस तरह प्रशांत किशोर की साल 2014 में हो रही थी। उस समय भी कहा जा रहा था कि बीजेपी की रणनीति बनाने में प्रशांत किशोर की अहम भूमिका थी।
छोडकर आये थे आईटी कंपनी
साल 2010 में आरजेडी की बिहार विधानसभा चुनावों के बाद हालत ठीक नहीं थी। चारा घोटाले के केस की वजह से लालू प्रसाद यादव पार्टी पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे थे, और राबड़ी देवी दूबारा राजनीति में नहीं जाना चाह रही थी।
उस समय तेजस्वी ने आईपीएल और संजय यादव ने अपनी आईटी कंपनी की नौकरी को छोड़कर पार्टी संभाली थी और पार्टी के काम करने पर ध्यान दिया। उसके बाद से संजय सभी के खास हो गये।