जुबिली न्यूज़ डेस्क
सर्दी के मौसम के दौरान नवजात शिशु को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। माता- पिता इस मौसम में सबसे ज्यादा उसे नहलाने को लेकर ज्यादा चिंतित दिखते हैं। ऐसे में ठंड के कारण बच्चे को अधिक संक्रमण होने की आशंका रहती है।
ऐसे में वे इस असमंजस में रहते हैं कि बच्चे को नहलाएं या नहीं। आइए जानते हैं माता सर्दी का मौसम आते ही अपने नवजात शिशुओं को ढेर सारे कपड़े पहनाकर, सिर पर ऊन की टोपी बांधकर उन्हें ऊनी कंबल में लपेटकर रखती हैं।
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उन्हें भय रहता है कि उनके नन्हें- मुन्ने लाडले को कहीं सर्दी न लग जाए। परंतु हम यहां नवजात शिशुओं को सर्दी से बचाए रखने के लिए कुछ विशिष्ट उपाय बता रहे हैं। इन उपायों पर अमल करने से बच्चों को कभी सर्दी नहीं लगेगी।
अपनाए ये टिप्स
- नवजात शिशु के शरीर पर हल्के हाथों से राई के तेल की मालिश करके कम से कम कपड़े पहनाकर नंगे बदन ही सुबह की गुलाबी धूप का सेवन कराएं। यह प्रयोग नियमित रूप से करें। आपके शिशु को कभी सर्दी नहीं होगी और न कभी निमोनिया होगा।
- रात को सोते समय तुलसी का रस उसके नाक, कान और माथे पर मलें। तुलसी के रस के सेवन से सर्दी का प्रकोप कभी नहीं होगा। आप तुलसी के रस की एक बूंद शहद के साथ मिलाकर उन्हें चटा भी सकती हैं।
- सुबह नवजात शिशु को शहद चटाएं। इस प्रयोग से भी उस पर सर्दी का आक्रमण नहीं होगा।
- शिशु को स्नान कराने से पहले हाथों में शहद लगाकर उस पर नींबू का रस निचोड़कर उसकी छाती पर मलें। यह प्रयोग शिशु को सर्दी से बचाने के लिए कवच बन जाएगा।
- नवजात शिशु के झूले के पास या उसके सोने के स्थान के आसपास कपड़े की एक पोटली में प्याज़ को कुचलकर बांधकर रख दें। हवा में प्याज़ की गंध मिल जाने से सर्दी का प्रभाव नहीं होगा।
- जिस कमरे में बच्चा सोता है, उसकी खिड़कियां बंद न करें।
- न कभी अंगीठी जलाकर रखें और न सर्दी से बचाव के लिए हीटर का प्रयोग करें।
- यदि आप खिड़की खोलकर वहां तुलसी के पौधे का गमला रख देंगे और आसपास दो-तीन ताज़े नींबू धागे से बांधकर लटका देंगे, तो नवजात शिशु का सर्दी से प्राकृतिक बचाव हो जाएगा।
- कभी-कभी गुनगुने पानी में नीम की पत्तियां उबालकर नवजात शिशु को उससे स्पंज करें। यह ध्यान रहे कि पानी का तापक्रम मात्र इतना होना चाहिए, नवजात शिशु की कोमल त्वचा सहन कर सके।
- सर्दी के प्रभाव से नवजात शिशुओं को बचाए रखने के लिए आप उन्हें ख़ूब हंसाएं या फिर वे रोते हैं, तो कुछ पल उन्हें चुप न कराएं। सर्दी से बचाव करने का यह कुदरती प्राणायाम है।
- यदि बच्चा दिनभर चुप रहता है, तो अवश्य ही उसे सर्दी लग जाएगी। चुप रहनेवाले शिशुओं में प्रतिरोधात्मक शक्ति का अभाव होता है। अतः शिशु से बात करे, ताकि वो ख़ुश हो और मुस्कुराए।
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