जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. ग्वालियर हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में आरोपितों की तस्वीरें सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सिर्फ आरोप लगने से कोई दोषी नहीं हो जाता है.
किसी भी मामले की जब तक जांच चलती है तब तक आरोपित की पहचान सार्वजानिक नहीं की जा सकती. जांच चलने तक आरोपित की तस्वीर को न तो अखबारों में प्रकाशित किया जा सकता है और न ही उन्हें सोशल मीडिया पर ही चलाया जा सकता है.
ग्वालियर हाईकोर्ट ने वर्ष 2014 में पुलिस महानिदेशक द्वारा दिए गए उस आदेश पर भी रोक लगा दी है जिसमें आरोपित की तस्वीर मीडिया को जारी करने का फैसला किया गया था. कोर्ट ने कहा है कि थाना प्रभारी किसी भी मामले में मीडिया से तभी जानकारी साझा कर सकेंगे जबकि पुलिस अधीक्षक से मंजूरी मिल गई हो.
दरअसल हाईकोर्ट ने यह फैसला ग्वालियर के एक पुराने मामले की सुनवाई करते हुए सुनाया. ग्वालियर की बहोड़ापुर पुलिस ने अरुण नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने अरुण की तस्वीरें समाचार पत्रों और सोशल मीडिया को जारी कर दीं.
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हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा कि किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी भर से यह साबित नहीं हो जाता कि वह अपराधी है. ऐसे में पुलिस उसका मीडिया ट्रायल नहीं कर सकती. अदालत ने कहा है कि पुलिस को मीडिया ट्रायल के बजाय केस को जल्दी साल्व करने पर फोकस करना चाहिए.