- अब हैण्डबॉल खेल के विकास पर होगा ज्यादा फोकस : डा.आनन्देश्वर पाण्डेय
जुबिली स्पेशल डेस्क
इस बैठक के एजेंडे में कई अन्य महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी दी गई। इन संशोधनों के क्रम में अब नई कार्यकारिणी में सीईओ का पद नहीं हेागा। सीईओ पद के अधिकार अब एचएफआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व महासचिव के बीच में बांट दिए गए है।
एक अन्य महत्वपूर्ण संशोधन जो किया गया उसके अनुसार अब फेडरेशन के पदाधिकारियों का कार्यकाल रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज की गाइडलाइंस के अनुसार तीन साल करने को मंजूरी दी गई। पहले ये कार्यकाल चार साल का था। इसके साथ ही कार्यकारिणी समिति को ये अधिकार दिए गए कि वो व्यक्तिगत विवादों को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप कर सकती है।
अब कार्यकारिणी में 21 पद होंगे जबकि पहले 23 पद थे। इस संशोधन का मकसद ये है कि सभी को निष्पक्ष चुनाव का अवसर मिले जबकि ज़ोन का प्रतिनिधित्व करने की अनिवार्यता को संविधान से हटा दिया गया है।
यूपी हैण्डबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा.सुधीर एम.बोबडे (आईएएस) ने इन संशोधन के बारे में कहा कि संशोधित संविधान से हैण्डबॉल का ढांचा अब कानूनी पहलुओ के अनुरूप हो गया है और अब भारत में हैण्डबॉल खेल के विकास के लिए सभी अब अधिक बेहतर व स्वतंत्र तरीके से काम कर सकेंगे।
हैण्डबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव डा.आनन्देश्वर पाण्डेय ने इसे भारतीय हैण्डबॉल के लिए इसे एक ऐतिहासिक दिन बताया और कहा कि इन संशोधन से कई विधायी विवादों का अंत हो गया है बल्कि अब हैण्डबॉल खेल के विकास के लिए भी ज्यादा ध्यान दिया जा सकेगा।