जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। बिहार क्रिकेट के हक के लिए अपनी आवाज बुलंद करने वाले आदित्या वर्मा ने एक बार फिर बीसीए पर बड़ा हमला बोला है।
सीएबी के सचिव आदित्य वर्मा ने बिहार क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों से कहा है कि नैतिकता का तकाजा है कि बीसीसीआई के द्वारा आहुत बीसीए के चुनाव मे 29.09.19 को चुने हुए पदाधिकारियों ने आपसी विवाद के कारण बिहार क्रिकेट संघ के छवि को खराब कर दिया है।
इतना हीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि कुर्सी के लालच व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण मात्र एक साल के भीतर एक चुने हुए पदाधिकारियों के आपसी झगड़े को बीसीसीआई ने काफी गम्भीरता से लेते हुए आखिर में बिहार क्रिकेट के संचालन के लिए जल्द ही एक क्रिकेट कमेटी बना रहा है।
उन्होंने कहा कि यह अत्यंत ही खेद का विषय है की बिहार क्रिकेट संघ को 18 सालों के बाद अपना मान्यता मिला था साथ ही साथ बीसीसीआई ने बिहार क्रिकेट को 10.80 करोड़ रुपये का ग्रांट राशि भी दिया था, लेकिन उस पैसे का दुरुपयोग अधिकारियों के द्वारा किया गया यह एक बड़ा प्रश्न है जो जांच के बाद ही सामने आएगा।
बिहार क्रिकेट टीम के जूनियर सीनियर पुरुष महिला खिलाडिय़ों को टीए डीए मैच फीस नहीं दी। कोरोना जैसे महामारी के समय जब हर परिवार आर्थिक तंगी झेल रहा था।
इस दौरान उस परिवार के खिलाडिय़ों को जो राज्य क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया था उनका पैसा नहीं देना बहुत बड़ा अपराध था । कुछ लोगो को सीएबी से बेवजह परेशानी हो रही है क्योंकि उनको पता है कि सीएबी के आने से कुछ लोगो के मनमानी पर विराम लग जाएगा।
सीएबी के सचिव के हैसियत से मंै अपने पदाधिकारियों की ओर से बिहार के क्रिकेटरो एवं खेल प्रेमियों को यह भरोसा दे रहे है कि बिहार क्रिकेट आसमान की बुलंदी को छुएगा बशर्ते बिहार क्रिकेट का भला चाहने वाले एक मंच पर आ कर पुरानी गलतियों से सबक ले कर बिहार क्रिकेट के लिए जान लगा के बिना स्वार्थ के काम करें।
सीएबी को दरकिनार कर बीसीए के स्वयंशंभु पदाधिकारीयों को मेरा नसीहत है कि बीसीसीआई आज के तिथि मे सीएबी को दरकिनार नहीं कर सकता है।
बीसीए के साथ मिल कर काम करने मे सीएबी को गुरेज नहीं है। नैतिकता के आधार पर बीसीए को इस मुकाम पे लाने वाले पदाधिकारी पद का परित्याग कर दे।