जुबिली स्पेशल डेस्क
उत्तर प्रदेश में महिला अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। आलम तो यह है कई मामलों में खाकी पर भी सवाल उठता है। दरअसल रेप जैसी घटनाओं को रोकने के लिए खाकी भी नाकाम साबित हुई है।
उत्तर प्रदेश में नाबालिग बच्चियों पर बेतहाशा जुल्म देखने को मिल रहे हैं। अगर बीते पांच साल की बात की जाये तो 9703 से रेप होने की बात सामने आई है। हालांकि सरकार उसे रोकने की बात कह रही है। हाथरस केस में गैंग रेप की घटना के बाद पुलिसिया तंत्र का बर्ताव भी सवालों के घेरे में रहा है।
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इतना ही नहीं इस प्रकरण में योगी सरकार पर भी दबाव देखा जा सकता है। सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए एक विशेष महिला पुलिस इकाई बनाकर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का नया प्रयास किया है। इसके तहत सरकार ने मिशन शक्ति अभियान के हिस्से के रूप में पिंक-पेट्रोल नाम से नई महिला पुलिस बल की गश्ती टीम बनाई है।
इसकी शुरूआत नवरात्रि के मौके पर शुरू हो गई। कठोर प्रशिक्षण से गुजरने के बाद लगभग 250 महिला पुलिसकर्मियों को पिंक पेट्रोल में तैनात किया गया है लेकिन बड़ा सवाल क्या इस तरह के कदम से महिलाओं पर बढ़ते अपराध को कम किया जा सकता है,क्योंकि इससे पूर्व भी कई कड़े कदम उठाये है।
वीमेन पावर लाइन पर प्रतिमाह 23 हजार से अधिक शिकायतें दर्ज करायी जाती है लेकिन अपराध को खासकर महिलाओं के प्रति क्राइम को कंट्रोल नहीं किया जा सका है। पिंक पेट्रोल उन स्थानों पर काम करेगी, जिनकी पहचान लखनऊ पुलिस ने हॉटस्पॉट के रूप में की है।
वरिष्ठ पत्रकार वरिष्ठ पत्रकार बिस्वजीत घोष की माने तो सरकार हर बार कोई योजना लेकर आती हैै लेकिन बाद में यह सबकुछ कूड़े में चला जाता है।
उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने एंटी रोमियो स्कॉर्ड बनाया था। उसका क्या हाल हुआ ये हर कोई जानता है। जिलों में महिला सुरक्षा के लिए हर थाने में दो ऐंटी रोमियो स्क्वॉड बनाए गए थे जिसमें 5-5 पुलिसकर्मी शामिल थे लेकिन इनके कामकाज पर सवाल उठने लगा था।
उन्होंने कहा कि प्रेमी जोड़े, पति-पत्नी या फिर भाई-बहन को ही पकड़कर पूछताछ की जाने लगी। यहां तक कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने बयान जारी सफाई दी कि मर्जी से बैठे कपल के खिलाफ कोई केस नहीं दर्ज होगा।
हालांकि फिर स्कॉयड गायब सा हो गया। उन्होंने कहा कि अब पिंक पेट्रोल बनाया गया है। मुझे लगता है कि महिलाओं को लेकर आपका नजरिया नहीं बदलेगा तब तक चीजे बदलने वाली नहीं है।
महिला अपराधों को रोकने के लिए आप कोई कदम उठा ले लेकिन उसे लागू करने के लिए जिला के पुलिस कप्तान को ठोस योजना बनानी होगी। आप कोई भी टीम का गठन कर ले लेकिन इसे सही तरीके से लागू नहीं किया गया तो ये बेकार हो जाता है।
महिला अपराधों के क्या है आंकड़े
यूपी में एक जनवरी, 2015 से 30 अक्टूबर, 2019 तक 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के मर्डर के 988, रेप 9703, अपहरण 25615 और दूसरे गंभीर अपराध के 2607 मामले दर्ज किए गए थे।
दर्ज मामलों में से हत्या में शामिल 121, रेप में 1105, अपहरण में 786 और दूसरे गंभीर अपराधों में शामिल 118 आरोपियों को कोर्ट द्वारा दोषी करार दिया गया है।
वहीं हत्या के 20, रेप 189, अपहरण 1704 और दूसरे गम्भीर अपराधों में दर्ज 76 मामलों की जांच चल रही है। अगर यूपी में महिलाओं और बच्चियों के साथ होने वाले अपराधों की बात करें तो कमी यहां भी नहीं आई है. एक साल में ही महिलाओं और बच्चियों के साथ हुए अपराधों में 11208 केसों की बढ़ोतरी हो गई।