प्रीति सिंह
आज पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मना रही है। सोशल मीडिया पर संदेशों की बाढ़ आ गई है। हर कोई शुभकामनाएं व बधाई देने के लिए आतुर दिख रहा है।
फेसबुक और ट्विटर देखकर ऐसा लग रहा है कि हमारे देश में लड़कियों को कितना प्यार किया जाता है, उनकी कितनी देखरेख की जाती है, उन्हें कितना सम्मान दिया जाता है।
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तो आइये आज इन्ही कुछ लड़कियों से बात करते हैं और जानते हैं कि वह आज के दिन मिलने वाले सम्मान से कैसा महसूस कर रही हैं।
लखनऊ के एक कांवेंट स्कूल में ग्यारहवीं में पढ़ने वाली विविधा मिश्रा कहती हैं, इस समाज के दोगलेपन पर मैं क्या कहूं। देश-दुनिया को ‘इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल’ मनाना है लेकिन लड़कियों का बोलने नहीं देना है। ज्यादा बोलने वाली लड़कियों को यह समाज कभी स्वीकार नहीं करता। लड़कियां कम बोले तो भी दिक्कत हैं। आप सोशल मीडिया पर देखिए जब कोई लड़की किसी मुद्दे पर अपनी थॉट शेयर करती है तो किस तरह उसको ट्रोल किया जाता है।
विविधा कहती हैं, हम ऐसे समाज में रहते हैं जहां हर इंसान का दोहरा चरित्र है। अपनी बहन-बेटी के लिए अलग सोच है और दूसरी के लिए अलग। इसी का नतीजा है कि लड़कियों के साथ क्राइम की घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही। आप लड़कियों के प्रति क्राइम के आंकड़े से समझ सकते हैं कि देश में एक दिन बालिका दिवस मनाने की जरूरत है या बाकी दिन भी।
ऐसा ही कुछ समिया जावेद का कहना है। ग्यारहवीं में पढ़ने वाली समिया कहती है, आज तो लोग ऐसे बधाई दे रहे हैं जैसे उन्हें लड़कियों की कितनी चिंता है। आज विश कर रहे हैं और कल से गाली देंगे।
समिया कहती हैं, मैंने कुछ दिन पहले ही एक न्यूज पढ़ी थी जिसमें एक रिसर्च के हवाले से लिखा गया था कि पूरी दुनिया में 60 फीसदी लड़कियां और महिलाएं ऑनलाइन अब्यूज का शिकार होती हैं। अब आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि दुनिया में लड़कियों की कितनी इज्जत है। सिर्फ एक दिन प्यारे-प्यारे संदेश शेयर करने से किसी की मानसिकता नहीं बदल सकती और न ही लड़कियों की स्थिति।
अब लखनऊ की ही दसवीं की स्टूडेंट आयुषी त्रिपाठी की सुनते हैं। आयुषी कहती है, ‘इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल ‘ सेलीब्रेट करना अच्छी बात है पर सिर्फ एक दिन नहीं। एक दिन सेलीब्रेट करने से कुछ नहीं होगा। यह सिर्फ रस्मअदायगी लगती है।
आयुषी कहती है , साल 2012 से पूरी दुनिया इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल सेलीब्रेट कर रही है। आप देखिए क्या इसके बाद से लड़कियों की स्थिति में सुधार आया है। क्या लड़कियों के साथ क्राइम की घटनाएं कम हो गई हैं।
वह कहती हैं, इस डे के सेलिब्रेशन से कितना फर्क पड़ा है आप इससे अंदाजा लगा सकती हैं कि जिस सोशल मीडिया पर आज लड़कियों के सम्मान में कसीदे पढ़े जा रहे हैं उसी प्लेटफार्म पर दो दिन महेन्द्र सिंह धोनी की छोटी सी बेटी को रेप की धमकी दी गई। उसके लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया।
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दसवीं की स्टूडेंट प्रेरणा सिंह भी आयुषि के विचारों से इत्तेफाक रखती हैं। वह कहती हैं-मुझे बहुत जानकारी तो नहीं है कि गवर्मेंंट लड़कियों को स्ट्रांग करने के लिए क्या कर रही है, लेकिन इतना जानती हूं कि हम बाहर सेफ नहीं है। न्यूज पेपर में तो लड़कियों के साथ क्राइम की खबरें भरी पड़ी होती है।
प्रेरणा कहती है कि ‘इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल’ सेलीब्रेट कीजिए लेकिन सच्चे मन से। सिर्फ दिखावे के लिए बेटियों के लिए प्यारे-प्यारे संदेश देना सही नहीं है। आप संदेश मत दीजिए पर उनके प्रति अच्छा भाव रखिए। सिर्फ अपने घर की बेटी की चिंता न कीजिए। पड़ोस की भी बेटी की चिंता कीजिए।
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अब नाइंथ क्लास की स्टूडेंट अंशिका की सुनिए। वह कहती हैं, मैंने सोशल मीडिया पर देखा लोग इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल सेलीब्रेट कर रहे हैं। लोग प्यारे-प्यारे संदेश शेयर कर रहे हैं। उन मैसेज को पढ़कर तो लग रहा है कि सब कुछ कितना अच्छा है, लेकिन अब तक मैंने अपने पैरेंट्स से, टीचर से और बाहर के लोगों से जितना सुनी हूं उसके हिसाब से हमारे देश में लड़कियों के लिए माहौल अच्छा नहीं है। लड़कियों के साथ क्राइम बढ़ गया है।
अंशिका कहती हैं मैने पढ़ा कि अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस इसलिए मनाया जाता है, ताकि बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। मैंने अब तक नहीं देखा कि स्कूल या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस टॉपिक पर कहीं बहस हुई हो। सिर्फ एक दिन सेलिब्रेट करने से कुछ नहीं होना है।