जुबिली स्पेशल डेस्क
नागरिकता कानून के विरोध में शाहीन बाग में 100 दिनों से ज्यादा दिन तक लोग धरने पर बैठे थे। इतना ही नहीं इसी तरह का धरना यूपी समेत पूरे देश में भी देखने को मिला था।
आलम तो यह है प्रदर्शनकारियों ने जगह छोडऩे से इंनकार कर दिया था। हालांकि बाद में कोरोना वायरस के चलते प्रदर्शनकारियों को वहां से हटने पर मजबूर होना पड़ा था।
शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाने के लिए शीर्ष अदालत में भी अपील की गई थी।
इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार अपने फैसले में कहा था कि सार्वजनिक स्थानों पर धरना प्रदर्शन करना सही नहीं है। इससे लोगों के अधिकारों का हनन होता है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि कोई भी समूह या शख्स सिर्फ विरोध प्रदर्शनों के नाम पर सार्वजनिक स्थानों पर बाधा पैदा नहीं कर सकता है और पब्लिक प्लेस को ब्लॉक नहीं किया जा सकता है।
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दूसरी ओर अगर यूपी की राजधानी की जाये तो पुराने लखनऊ में हुसैनाबाद के ऐतिहासिक घंटाघर पर नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था लेकिन बाद में कोरोना का हवाला देकर वहां से लोगों को हटा दिया गया था। अब इस स्थान पर लखनऊ पुलिस का कब्जा है।
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हुसैनाबाद के ऐतिहासिक घंटाघर के चारों-तरफ पुलिस है और कई महीनों से अपना पीएसी कैम्प लगा रखा है। घंटाघर से प्रदर्शन खत्म कराने के लिए पीएसी की तैनाती योगी सरकार ने की थी। हालांकि प्रदर्शन के खत्म हुए कई महीने हो गए है लेकिन पीएसी का कैंप वहां पर अब भी लगा हुआ है।
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आपको बता दें कि ऐतिहासिक घंटाघर एक पर्यटन स्थल है जहां पर हर रोज सैकड़ो पर्यटक आते हैं। हालांकि पीएसी के कैम्प होने से पर्यटक वहां से आने से कतरा रहे हैं। इस चीज को लेकर स्थानीय लोगों में काफी रोश है। नाम न छापने की शर्त पर लोगों ने साफ किया फौरन यहां से पुलिस का कैम्प हटना चाहिए।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि अब यहां पर धरना चल रहा है बस केवल अंतर यह है कि यहां से महिलायें चली गई और पीएसी जम गई है। महिलाओं को हटाकर जगह खाली करा ली गई लेकिन पीएसी ने कब्जा कर अपना कैंप वहां पर लगा लिया।
उधर इस पूरे मामले पर रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में पुलिस के कामकाज पर सवाल उठ रहा है।
हुसैनाबाद के ऐतिहासिक घंटाघर आम लोगों के लिए है लेकिन PAC ने वहां पर अपना कैंप लगा रखा है वो सही नहीं है। ऐसा लग रहा है हम मिलेट्री युग में जी रहे हैं। जहां तक धरना प्रदर्शन की बात है तो कल को हम लोग अपने घर में धरना देने लगे तो फिर प्रशासन क्या करेगा।
पुलिस का काम जनता की सेवा करना न ही आम लोगों को बंदूक की नोंक पर डराना। घंटाघर ही नहीं यूपी के कई ऐसे इलाके हैं जहां पर पुलिस अपना कब्जा कर लेती है और जनता बेहाल हो जाती है।
ऐसे में अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लखनऊ पुलिस कब उस स्थान को खाली करती है जिस पर उसका कब्जा है।
बता दें कि पुलिस की मौजूदगी से कई सड़कों को बंद कर दिया गया था और लोगों को आवाजाही में दिक्कतें होती नजर आ रही है।
शाहीन बाग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शाहीन बाग इलाके से लोगों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी। विरोध प्रदर्शनों के लिए शाहीन बाग जैसे सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा करना स्वीकार्य नहीं है। प्रशासन को खुद कार्रवाई करनी होगी और वे अदालतों के पीछे छिप नहीं सकते। लोकतंत्र और असहमति साथ-साथ चलते हैं।