जुबिली न्यूज़ डेस्क
बचपन में जब बच्चों को खेलने की ज्यादा आदत होती है तो अक्सर मां बाप यही कहते थे कि पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब और खेलोगे कूदोगे तो बनोगे खराब। इस कहावत को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के जो आंकडें आये हैं उनको देख कर तो कुछ और ही लगता है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे कैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद हैं। यूपी की जेलों में बंद कैदी ज्यादातर इंजीनियर या पोस्ट-ग्रैजुएट कैदी है। इसके बाद महाराष्ट्र का नंबर आता है जहां सबसे ज्यादा पढ़े लिखे कैदी बंद हैं। वहीं कर्नाटक इस मामलें में तीसरे नंबर पर आता है।
एनसीआरबी की क्राइम इन इंडिया की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरप्रदेश देश का एक ऐसा राज्य है, जहां सबसे ज्यादा इंजीनियर, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा धारक कैद हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट में बताया गया कि भारत की जेलों में टेक्निकल डिग्री रखने वाले करीब 3 हजार 740 कैदी बंद हैं। इनमें से सबसे ज्यादा यूपी की जेलों में हैं।
यूपी के जेलों में 727 कैदी ऐसे हैं, जिनके पास टेक्निकल डिग्री है। इसके बाद महाराष्ट्र में 495 कैदियों के पास जबकि कनार्टक के 362 कैदियों के पास टेक्निकल डिग्री है। भारत की जेलों में बंद 5282 कैदियों के पास पोस्टग्रैजुएट डिग्री है। इनमें से सबसे ज्यादा 2010 कैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद हैं।
इस मामले में यूपी के डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि टेक्निकल डिग्री रखने वाले ज्यादातर कैदियों पर दहेज हत्या और बलात्कार जैसे आरोप लगे हैं। इसके साथ ही कुछ ऐसे अपराधी भी है जो किसी आर्थिक अपराध की वजह से जेल में बंद हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के जेलों में अलग अलग अपराध के चलते 3 लाख 30 हजार 487 कैदी सजा काट रहे हैं। पढ़े लिखे कैदियों के कौशल का इस्तेमाल जेल के अंदर अन्य कैदियों को प्रशिक्षित करने में किया जा रहा है।
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उन्होंने बताया कि जेल में बंद टेक्निकल डिग्री वाले कैदियों ने ही कई जेलों में ई जेल परिसर को विकसित किया है। इसके साथ ही इन कैदियों ने जेल इन्वेंट्री सिस्टम के कम्प्यूटरीकरण में भी मदद की है। इसके साथ ही कुछ कैदियों ने जेल परिसर के अंदर जेल रेडियो की भी शुरुआत की है।
इस मामले में समाजशास्त्री डॉ अभिषेक रंजन का कहना है कि यूपी में बढ़ रहे अपराधियों के पीछे कही न कहीं बेरोजगारी भी एक वजह है। बीते बुधवार को सेंटर फ़ॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनामी ने ही आंकडें जारी किये थे। इस सर्वे रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में बेरोजगारी दर 2018 में 5.92 प्रतिशत थी। वहीं साल 2019 में बेरोजगारी दर 9.97 प्रतिशत रही जो कि लगभग दोगुनी है।