जुबिली न्यूज़ डेस्क
मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन से जारी बैठक के नतीजे आ गये हैं होंगे। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्य वालों मौद्रिक नीति समिति ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 4% पर बरकरार है। जबकि रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर बरकरार है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि, हाल ही में आए आर्थिक आंकड़ों से संकेत अच्छे मिल रहे है। ग्लोबल इकोनॉमी में रिकवरी के मजबूत संकेत मिल रहे हैं। मैन्युफैक्चरिग, रिटेल बिक्री में कई देशों में रिकवरी देखने को मिली है। खपत, एक्सपोर्ट में भी कई देशों में सुधार दिखा है। इससे अर्थव्यवस्थआ में तेजी की उम्मीद बनी हुई है। हम बेहतर भविष्य के बारे में सोच रहे हैं।
बता दें कि त्योहारी सीजन को देखते हुए ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि आरबीआई डिमांड बढ़ाने के लिए रेपो रेट पर कैंची चला सकता है। हालांकि, ऐसा कुछ नहीं हुआ है। हालांकि, केंद्रीय बैंक इससे पहले पिछली दो बैठकों में रेपो रेट में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है।
क्या है रेपो और रिवर्स रेपो रेट
रेपो रेट- रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को ऋण देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह।
रिवर्स रेपो रेट- यह रेपो रेट से उलट होता है। यह वह दर जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है। बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकमे उसके पास जमा करा दे।