जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ. हाथरस काण्ड के बाद यूपी सरकार के खिलाफ विपक्ष के हल्ला बोल ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया. सरकार को मुआवज़े के अलावा कई पुलिस अधिकारियों के निलम्बन की कार्रवाई करनी पड़ी. दबाव में आई सरकार ने एसआईटी गठित कर मामले की जांच उसके हवाले कर दी. यह मामला सरकार ने बाद में सीबीआई को सौंपने का भी सरकार ने एलान किया. लेकिन बाद में जांच एजेंसियों से पुलिस को जो इनपुट मिले उससे पता चलता है कि हाथरस काण्ड के बाद पता चला कि विदेशी ताकतों ने उत्तर प्रदेश को दंगों में झोंकने का प्लान तैयार किया था.
हाथरस काण्ड को लेकर उत्तर प्रदेश के छह जिलों में अब तक 19 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं. इनमें दंगे भड़काने से लेकर देशद्रोह जैसी धाराओं में मुक़दमे दर्ज हुए हैं. सरकार ने हाथरस काण्ड के बाद विपक्ष को भी निशाने पर लिया है. राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी और भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर सहित 600 से ज्यादा लोगों के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है.
जांच एजेंसियों के संज्ञान में आया है कि हाथरस में दंगा भड़काने की साज़िश रची गई थी. इस सम्बन्ध में पुलिस ने केरल के एक पत्रकार और जामिया मिलिया यूनीवर्सिटी के एक छात्र को गिरफ्तार किया है.
जांच में पता चला है कि हाथरस में जातीय संघर्ष भड़काने, सरकार की छवि को खराब करने और समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करने की साज़िश रची जा रही थी. इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने बताया कि हाथरस में छह मुकदमे दर्ज किये गये हैं. इसके अलावा बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर, अयोध्या, प्रयागराज और लखनऊ में 13 एफआईआर दर्ज हुई हैं. सोशल मीडिया पर नफरत वाली पोस्ट लिखने या शेयर करने वालों पर भी मुकदमा दर्ज किया गया है.
उन्होंने बताया कि पुलिस ने मोबाइल फोन, लैपटॉप और भड़काऊ सामग्री के साथ पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के चार सदस्यों के साथ गिरफ्तार किया है. पकड़े गए इन चार लोगों में से एक केरल में पत्रकार है. बाक़ी तीनों लोग उत्तर प्रदेश के हैं. जामिया मिलिया से एलएलबी की पढ़ाई कर रहा मसूद अहमद भी पकडे गए चार लोगों में शामिल है.
जानकारी मिली है कि हाथरस के बहाने यूपी में बड़े पैमाने पर दंगा भड़काने की साज़िश रची गई थी. दंगों के लिए विदेशों से करीब 100 करोड़ रुपये की फंडिंग हुई थी. बताया जाता है कि 50 करोड़ रुपये अकेले मारीशस से ही आये.
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सितम्बर महीने की 14 तारीख को यूपी के हाथरस शहर में दलित युवती के साथ बुरी तरह से मारपीट और कथित गैंगरेप की घटना हुई थी. इलाज के लिए उसे दिल्ली में भर्ती कराया गया था जहाँ 14 दिन बाद उसकी मौत हो गई थी. इस काण्ड को लेकर देश में सियासी भूचाल आ गया था. सरकार खुद भी बैक फुट पर थी. पुलिस ने भी इस बीच खूब मनमानी की और युवती का शव आधी रात को थिनर और पेट्रोल के ज़रिये जला दिया.
पुलिस द्वारा किये गए अंतिम संस्कार ने हालात बिगाड़ दिए. अंतिम संस्कार के बाद इस परिवार के घर पर पुलिस का जो पहरा बिठाया गया उसने हालात और भी बदतर कर दिए. इस मामले को लेकर सरकार की खूब किरकिरी हुई और अब जो इनपुट सामने आये हैं वह यह बताते हैं कि हाथरस को जातीय युद्ध में झोंकने की तैयारी थी.