जुबिली न्यूज़ डेस्क
दुनिया की सबसे लंबी हाईवे सुरंग आज देश को समर्पित हो गई। सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण ‘अटल टनल’ का उद्घाटन किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहतांग में आज यानी शनिवार को दुनिया की सबसे बड़ी ‘अटल टनल’ का लोकार्पण किया। इस दौरान प्रधानमंत्री के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे।
टनल के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज सिर्फ अटल जी का सपना ही पूरा नहीं हुआ है, बल्कि हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे अटल टनल के लोकार्पण का अवसर मिला है।
पीएम ने कहा कि अक्सर लोकार्पण की चकाचौंध में वो लोग कहीं पीछे रह जाते हैं, जिनके परिश्रम से ये सब संभव हो सका है। इसके निर्माण में अपना पसीना बहाने वाले, अपनी जान जोखिम में डालने वाले, मेहनतकश जवानों, इंजीनियरों और मजदूर भाई बहनों को मैं नमन करता हूं।
पीएम बोले कि लेह-लद्दाख के किसानों, बागवानों और युवाओं के लिए भी अब देश की राजधानी दिल्ली और दूसरे बाजारों तक पहुंच आसान हो जाएगी। अटल टनल से मनाली और केलांग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी। पीएम मोदी ने कहा कि पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है।
गौरतलब है कि रोहतांग दर्रे के नीचे यह ऐतिहासिक सुरंग बनाने का निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 3 जून 2000 में लिया गया था। इसकी आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गयी और इसके बाद से सीमा सड़क संगठन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद इसे निर्माण को पूरा करने में जुटा रहा ।
#WATCH Prime Minister Narendra Modi inaugurates 9.02 km long Atal Tunnel that connects Manali to Lahaul-Spiti valley #HimachalPradesh pic.twitter.com/zAjGQj1sHH
— ANI (@ANI) October 3, 2020
दरअसल ‘अटल सुरंग’ हिमालय की दुर्गम वादियों में पहाड़ काटकर बनाई गई है। अटल टनल समुद्रतल से 3,060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस सुरंग के खुल जाने से हिमाचल प्रदेश के कई ऐसे इलाके हैं जो सर्दियों में बर्फबारी के चलते बाकी देश से कट जाते थे। लेकिन अब वे पूरे साल संपर्क में रहेंगे। साथ ही मनाली और लेह की दूरी भी इससे खासी कम हो जाएगी।
सबसे लम्बी राजमार्ग सुरंग
यह दुनिया की सबसे लम्बी राजमार्ग सुरंग है और 9.02 लंबी सुरंग मनाली को सालों भर लाहौल स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी। अभी रोहतांग दर्रे से मनाली और लेह जाने के लिए आपको 474 किलोमीटर का सफ़र तय करना पड़ता है। लेकिन इस टनल के बनने से यह दूरी 428 किलोमीटर रह जाएगी।
टनल का आकार घोड़े की नाल जैसा
इस टनल का आकार घोड़े की नाल जैसे है साथ ही सिंगल ट्यूब डबल लेन वाली है। इसकी चौड़ाई 10.5 मीटर है और मेन टनल के भीतर ही 3.6 x 2.25 मीटर की फायरप्रूफ इमर्जेंसी इग्रेस टनल बनाई गई है। 10,000 फीट की ऊंचाई पर इस टनल को बनाने में 10 साल लगे। इसे रोज 3,000 कारों और 1,500 ट्रकों का ट्रैफिक झेलने के लिहाज से बनाया गया है।
बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन ने पूरा किया काम
इस टनल का निर्माण बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन द्वारा किया गया है। इस टनल के बनने से अब मनाली-लेह हाइवे पर रोहतांग, बारालचा, लुंगालाचा ला और टालंग ला जैसे पास हैं और भारी बर्फबारी के चलते सर्दियों में यहां पहुंचना अब आसान हो गया है। पहले मनाली से सिस्सू तक पहुंचने में 5 से 6 घंटे लग जाते थे, अब यह दूरी सिर्फ एक घंटे में पूरी की जा सकती है।
किये गये हैं व्यापक इंतजाम
अटल टनल में पहले और आखिरी 400 मीटर के लिए स्पीड लिमिट को 40 किलोमीटर प्रतिघंटा रखा गया है। जबकि बाकी दूरी क लिए अधिकतम 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड राखी गयी है। टनल के दोनों सिरों पर एंट्री बैरियर्स लगे हुए हैं। हर 150 मीटर पर इमर्जेंसी कम्युनिकेशन के लिए टेलीफोन कनेक्शंस हैं। सुरंग में अग्नि शमन, रोशनी और निगरानी के व्यापक इंतजाम किये गए हैं।
हर 60 मीटर तक फायर हाइड्रेंट मैकेनिज्म
इस टनल में हर 60 मीटर तक फायर हाइड्रेंट मैकेनिज्म की व्यवस्था की गयी है ताकि आग लगने पर जल्दी काबू पाया जा सके। हर 250 मीटर तक सीसीटीवी कैमरों से लैस ऑटो इन्सिडेंट डिटेक्शन सिस्टम है। हर एक किलोमीटर पर हवा की मॉनिटरिंग की व्यवस्था है। हर 25 मीटर पर आपको एग्जिट और इवैकुएशन के साइन मिलेंगे।
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प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने 2014 में निमार्ण स्थल का दौरा किया था। पिछले 24 दिसम्बर को पीएम मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वाजपेयी के इसमें योगदान के लिए इस सुरंग का नाम रोहतांग सुरंग के बजाय अटल सुरंग रखने को मंजूरी दी। इसका 40 % कार्य पिछले दो सालों में पूरा किया गया है. इसके निमार्ण पर 3200 करोड़ रूपये का खर्च आया।