- एनसीबी की जांच कौन करेगा ?
नवेद शिकोह
बॉलीवुड नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के रडार पर है और ख़ुद एसीबी देश की जनता की निगाहों के घेरे मे है। इस एजेंसी की वर्तमान कर्मठता की तारीफें हो रही है तो ये भी सवाल उठ रहे हैं कि जब बरसों से पारदर्शी बॉलीवुड में नशा अपनी पैठ बना रहा था तब नार्कोटिक्स ब्यूरो खुद नशे में मदहोश पड़ा था क्या !
हजारों करोड़ रुपये की ड्रग्स की सप्लाई खुलेआम वाट्सएप ग्रुप्स पर होती रही, तब क्या इस अवैध कारोबार में केंद्रीय एजेंसी का संरक्षण मिल रहा था ! सवाल ये भी उठ रहा है कि फिल्मीं हस्तियों के साथ क्या एनसीबी के अफसरों की जांच नहीं होना चाहिए !
कभी ड्रग्स में संलिप्त होने की बात खुद क़ुबूल चुकी अभिनेत्री की जन्मस्थान हिमांचल में नशे के कारोबार के फलने फूलने की चर्चा है। प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में गांजा, चरस, अफीम के चलन की बात होती रही है। अतीत में एक सत्ताधारी बड़े राजनेता का पुत्र मुंबई में ड्रग के नशे में नजर आया था। इन तमाम बिन्दुओं पर एनसीबी ने कभी इतनी शिद्दत से कार्यवाही की थी क्या ! नहीं कभी नहीं।
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सुशांत आत्महत्या केस के बाद बॉलीवुड में नशे का ऐसा मटका फूटा कि हर तरफ नशे की नदियां बहने लगी। अपनि विशिष्ट प्रतिभा के जरिए दुनिया में भारत का नाम रौशन करने वाले और देश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले बॉलीवुड में एकाएकी गांजे-चरस का धुआं ही धुंआ नजर आने लगा। सिवाये कंगना रनौत जैसे कुछ को छोड़कर मुंबई फिल्म नगरी की ज्यादातर फिल्मी हस्तियों पर शक है कि वो नशे की लत का शिकार हैं।
नारकोटिक्स ब्यूरो इस शक को सच साबित करने के लिए जी-जान से लगा है। लेकिन हजारों करोड़ का प्रतिबंधित नशे का कारोबार कौन-कौन चलाता है ! ये कैसे चलता है ! इस समाज विरोधी, कानून विरोधी अवैध व्यवसाय के फलने-फूलने में किसका सपोर्ट रहा। बड़े राजनेताओं की इसमें कितनी संलिप्तता रही ! इस तरह के सवालों को हल करने और नशे के अंधे धंधे की बड़ी मछलियों को पकड़ने जैसी कार्रवाई सीएनबी ने अब तक नहीं की।
अभी तक जो भी नजर आ रहा है उसे देख कर नहीं लगता कि कोई बड़ी मछली भी पकड़ी जायेगी। क्योंकि जो तार ड्रग्स के बड़े कनेक्शन तक पंहुचा सकते हैं उन बड़ों को बचाव का मौका दिया जा रहा है। प्राथमिक कार्रवाई की चप्पे/चप्पे की जानकारी लीक हो रहे है और मीडिया द्वारा एक-एक स्टेप की जानकारी लीक करवायी जा रही है।
यदि सीएनबी को ड्रग्स के मास्टरमांड तक पंहुचना होता तो सारा काम खामोशी से होते, इतना तमाशा नहीं होता।
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फिलहाल लग ये रहा है कि विभिन्न सूबों/शहरों के विभिन्न क्षेत्रों के नशा लेने वाले लोगों/सेलेब्रिटीज़ को छोड़कर केवल मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के चंद लोग लक्ष्य बने हैं। इन पर शक है कि ये कभी नशा ले चुके हैं या ले रहे हैं।
जो चोरी करते पकड़ा जाये वो चोर और जो चोर नजरअंदाज कर दिया जाये वो चोर नही कहलायेगा। जबकि ड्रग का नशा देश के कोने-कोने में फैला हैं। नशें मे कौन नहीं है ! सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये नशे में नही हैं –
एनसीबी
इलीट क्लास में प्रतिबंधित नशा (ड्रग) फैलता गया। मुंबई जैसा शहर ऐसे नशे का गण है। ग्लैमर के क्षेत्र के रईसज़ादे और सम्पूर्ण फिल्म इडंस्ट्री दशकों से नशे में लिप्त है, ये आम इंसान भी जानते है। फिल्म स्टार्स आम और खास जनता के हीरो होते हैं, आइडिया होते हैं इसलिए जनता की इनके पल-पल पर नजर रहती है। इसलिए मीडिया भी फिल्मी लोगों की हर गतिविधि पर नजर रखती है।
मुंबई में केंद्रित प्रतिबंधित नशे के खिलाफ काम करने वाली केंद्र सरकार की शक्तिशाली एजेंसी एनसीबी ने पूरे बॉलीवुड में इतने बड़े स्तर पर ड्रग्स के कारोबार को क्यों पनपने दिया।
क्या ये केंन्द्रीय एजेंसी खुद नशे में काम कर रही थी जो उसे पैठ बनाता ड्रग्स का धंधा वर्षों से नजर नही आया था।
उद्योगपति, बड़े खिलाड़ी, धार्मिक गुरु, साधू, राजनेता और उनके रईसज़ादे
ये भी समाज की प्रेरणा बनते हैं। बताया जाता है कि धनपशु घरानों के ऐसे लोगों में ड्रग्स आम होती जा रही है।
आईपीएल और धार्मिक आयोजनों में क्रमशः ड्रग, गांजा, चरस, अफीम आम बात है। बताया जाता है कि इलीट क्लास में गे समूहों की पार्टियों में भी ड्रग्स पार्टियों का रिवाज है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो क्या इधर भी नजरे इनायत करेगा ! या फिर किसी आत्महत्या, चुनाव या सिवासी बंवरडर के बाद ही ये एजेंसी हरकत मे आयेगी ?
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