जुबिली न्यूज़ डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देश की जनता को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने आज के कार्यक्रम में कई प्रेरक प्रसंग उठाए। महात्मा गांधी, भगत सिंह से लेकर खेती-किसानी तक के मुद्दे पर बात की। उन्होंने कृषि बिल के फायदे बताए. इसके साथ ही उन्होंने लोगों से कहानिया भी सुनीं।
अपने मन की बात कार्यक्रम में मोदी ने कहा, ‘मैं, कथा सुनाने वाले, सबसे, आग्रह करूँगा, हम, आज़ादी के 75 वर्ष मनाने जा रहें हैं, क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं। उनको, कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं! विशेषकर, 1857 से 1947 तक, हर छोटी-मोटी घटना से, अब, हमारी नयी पीढ़ी को, कथाओं के द्वारा परिचित करा सकते हैं।
वहीं कृषि सुधार से जड़े विधेयक को लेकर पीएम ने कहा, ‘मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे यहां कहा जाता है, जो ज़मीन से जितना जुड़ा होता है। वो, बड़े-से-बड़े तूफानों में भी उतना ही अडिग रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण हैं।संकट के इस काल में भी हमारे देश के कृषि क्षेत्र ने फिर अपना दमख़म दिखाया है।
उन्होंने कहा कि साथियो, देश का कृषि क्षेत्र,हमारे किसान, हमारे गाँव, आत्मनिर्भर भारत का आधार है। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी। पिछले कुछ समय से इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से मुक्त किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है।’
शहीद भगत सिंह को याद करते हुए पीएम ने कहा कि, भगत सिंह का जज्बा हमारे दिलों में होना चाहिए। उनका देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान है। शहीद वीर भगत सिंह का नमन करता हूं। उस 23 साल के युवक से अंग्रेजी हुकूमत डर गई थी। कल, 28 सितम्बर को हम शहीद वीर भगतसिंह की जयंती मनायेंगे।
पीएम मोदी ने कहा कि, ‘मुझे, कई ऐसे किसानों की चिट्ठियां मिलती हैं, किसान संगठनों से बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, किस तरह से खेती में बदलाव हो रहे हैं। इस सिलसिले में हरियाणा के सोनीपत जिले के हमारे एक किसान भाई कंवर चौहान जी की प्रेरक कहानी बताई।
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उन्होंने बताया है कि एक समय ऐसा था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियाँ बेचने में काफी समस्या होती थी। अगर वो मंडी से बाहर, अपने फल और सब्जियाँ बेचते थे, तो, कई बार उनके फल, सब्जी और गाड़ियाँ तक जब्त हो जाती थी। लेकिन, 2014 में फल और सब्जियों को APMC एक्ट से बाहर कर दिया गया, इसका, उन्हें और आस-पास के साथी किसानों को काफी फायदा हुआ।
पीएम मोदी ने कहा कि अपने फल-सब्जियों को, कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की ताकत है, और ये ताकत ही, उनकी, इस प्रगति का आधार है। अब यही ताकत, देश के दूसरे किसानों को भी मिली है। आप सोचिये, कितने नौजवानों को उन्होंने रोजगार दिया, और बिचौलियोँ ना होने के कारण, किसान को भी लाभ हुआ, और, उपभोक्ता को भी लाभ हुआ।
इसके साथ ही पीएम ने कहा कि, मैं अपने जीवन में काफी समय तक एक परिव्राजक के रूप में रहा। घुमंत ही मेरी जिंदगी थी। हर दिन नया गांव, नए लोग, नए परिवार. भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-कोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। हमारे यहां कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है।
पीएम ने कहा, हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियां सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं। कहानियां, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई मां अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है।
इसके अलावा उन्होंने कोरोना महामारी के बारे में बात करते हुए कहा कि कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना बेहद जरुरी है। कोरोना के समय में दो गज की दूरी बनाए रखना जरूरी है। कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है।
आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरूरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवारों के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है। हमें, जरूर एहसास हुआ होगा कि हमारे पूर्वजों ने जो भी विधाएं बनाई थी, वो आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो हमें उनकी कितनी कमी महसूस होती है।